Krishna Janmashtami Blessings

In offering His beautiful Janmashtami blessing from abroad toady, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji said, “The most beautiful teaching of Lord Shri Krishna’s life is that we should never lose ourselves due to external circumstances. Never lose our smile, never lose our song.

“The life of Lord Shri Krishna was full of trials and tribulations from the time of His birth, when he was born in a closed prison cell. Lord Shri Krishna fought many struggles throughout His life. There were innumerable challenges in front of Him but he always maintained his divine smile. He always kept the music of His divine flute alive within himself. The song of Lord Shri Krishna’s flute always played with him wherever he went. He never said, “I am in a bad mood today so I will not play my inner flute.”

“The message is that no matter what the circumstances, the music of our life will always be alive. This is a beautiful addition to our own lives: that we will always try to keep our life as a celebration.

परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनायी कृष्ण जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाओं को झाँकी, संगीत, नृत्य आदि अनेक माध्यमों से प्रस्तुत करें परन्तु मूल उद्देश्य से भी जुड़ें

भगवान श्री कृष्ण ने जीवन को पूर्णता का संदेश दिया
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 19 अगस्त। परमार्थ निकेतन में धूमधाम से जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने नृत्य, गीत-संगीत और भजन संध्या से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ऋषिकुमारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें देते हुये अपने संदेश में कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म सम्पूर्ण मानवता के लिये एक वरदान है। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में विभिन्न रूपों को जिया हैं। बाललीला से लेकर रासलीला तक, अनेक व्यक्तित्वों को जीवंत बनाया। उन्होंने अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड को श्रीमद्भगवद् गीता का दिव्य संदेश दिया, जो हर युग के लिये प्रासंगिक है। ‘‘निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्’’ ‘‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।’’ ’’योगः कर्मसु कौशलम्’’ ‘‘पृथिव्याम् सर्व मानवा, ’’इद्म न मम’’ भागो नहीं जागो, ऐसे अनेक दिव्य सूत्र दिये।।

जन्माष्टमी पर हम कृष्ण उत्सव में श्रीकृष्ण जी के जीवन की घटनाओं को झाँकी, संगीत, नृत्य आदि अनेक माध्यमों से प्रस्तुत करें परन्तु मूल उद्देश्य से भी जुड़ें रहे। जिस प्रकार श्री कृष्ण भगवान ने प्रकृति, पर्यावरण, पहाडों, नदियों का संरक्षण किया उस उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ते रहे।

भगवान श्री कृष्ण का जीवन एक रंग-बिरंगे विशाल कैनवास की तरह है, जिसमें मानव-संस्कृति, सभ्यता, संस्कार और जीवन का उद्देश्य समाहित है। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन को पूर्णता के साथ जिया है और यही संदेश सम्पूर्ण मानवता को भी दिया। उन्होंने जीवन को नृत्य व संगीत की तरह मस्त होकर जिया। उनके चरित्र में जीवन का उत्तम राग, प्रेम, योग, ध्यान, धर्म, राजनीति, युद्धनीति और शान्ति का संदेश समाहित है। जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करने के सर्वश्रेष्ठ सूत्र भगवान कृष्ण ने हमें दिये हैं। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के राग को बांसुरी के माध्यम से हमेशा जीवंत रखा। उन्होंने जीवन की सम्पूर्णता का सृजन बड़ी ही सुंदरता से किया। स्वामी जी ने कहा कि आईये इन्हीं दिव्य सूत्रों को आत्मसात कर जन्माष्टमी का पर्व मनायें।

स्वामी जी ने कहा, “भगवान श्री कृष्ण के जीवन की सबसे सुंदर शिक्षा यह है कि कभी भी बाहरी परिस्थितियों के कारण अपने आप को मत खोना, कभी भी अपनी मुस्कुराहट को मत खोना, अपना गीत कभी मत खोना। भगवान श्री कृष्ण का जीवन जन्म के समय परीक्षा और क्लेश से भरा हुआ था। जब उन्होंने एक बंद जेल की कोठरी में जन्म लिया। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन भर अनेक संघर्ष किये उनके सामने असंख्य चुनौतियां आयी परन्तु उन्होंने हमेशा अपनी दिव्य मुस्कान को बनाए रखा। उन्होंने हमेशा अपनी दिव्य बांसुरी की तान को अपने भीतर जिन्दा रखा। भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी का गीत हमेशा बजता रहा वे जहां भी गये उनका गीत उनके साथ ही था, उन्होंने कभी नहीं कहा, “मैं आज बुरे मूड में हूं इसलिए मैं अपनी भीतरी बांसुरी नहीं बजाऊंगा।“ यह हमारे अपने जीवन के लिए एक सुंदर संदेश है कि परिस्थितियां कैसी भी हों परन्तु अपने जीवन का संगीत हमेशा जिन्दा रखेंगे, अपने जीवन को महोत्सव बनाये रखने का प्रयास करेंगे। ”

स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जीवन लीलाओं के माध्यम से अनेक संदेश और शिक्षायें दी। उन्होंने श्री यमुना जी को कालिया नाग के जहर से मुक्त किया था आज हमारी नदियों को प्लास्टिक मुक्त करने की जरूरत हैं और उसके लिये एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा। श्री कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर बड़े-छोटे का भेद मिटाया, सखा प्रेम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर स्वामी जी ने नदियों को स्वच्छ रखने तथा गौ वंश को संरक्षित रखने का आह्वान किया क्योंकि गौवंश इस समय लंपी स्किन डिजीज के कारण खतरे में है।