Spiritual Retreat Organized for More Than 100 Girls of Rescue Foundation at Parmarth

100 young ladies and girls of Mumbai’s Rescue Foundation journeyed to Parmarth Niketan for five days of yoga, meditation, satsang, Ganga Aarti and personality development organized with the inspiration and blessing of HH Param Pujya Swamiji and the guidance of Pujya Sadhviji to affect change and upliftment in lives devastated by commercial sexual exploitation, human trafficking and abuse. These retreats, which have been hosted at Parmarth for many years, focus on efforts to boost the girls’ morale through various spiritual activities to help them rise above the feeling of inferiority and humiliation that they feel.

Founded by Triveni Acharyaji and her husband, Shri Balkrishna Acharyji in 1993, the Rescue Foundation has since rescued thousands of women and girls forced into prostitution and placed them in their centers where they are given education and vocational training that lead them to productive lives in which they thrive, not just survive.

Pujya Swamiji declared that human trafficking is one of the major problems in the world and, despite all efforts, it hasn’t been possible to stop it due to poverty and illiteracy, as well as social inequality and regional gender imbalance along with a lack of discipline, spirituality, values and sense of respect in life. But programs like the Rescue Foundation are making a difference!

Sadhviji greeted each of the girls, giving answers to many of their questions and assuring them that they are not impure, but divine, and faced with a golden future in which to make their marks on society.

Parmarth Niketan will continue to work together with the Rescue Foundation so that more of India’s daughters can be saved in the future.


परमार्थ निकेतन में रेस्क्यू फाउंडेशन की 100 से अधिक लड़कियों के लिये तीन दिवसीय आध्यात्मिक रिट्रीट का आयोजन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य व मार्गदर्शन में किया गया। तीन दिनों तक परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में रहकर लड़कियों ने योग, ध्यान, प्राणायाम, हवन, सत्संग, व्यक्तित्व विकास, जिज्ञासाओं का समाधान, गंगा आरती आदि परमार्थ परिसर में होने वाली विभिन्न गतिविधियों में सहभाग किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में मानव तस्करी विश्व की प्रमुख समस्याओं में से एक है।  तमाम कोशिशों के बावजूद इसे रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है और कोई भी राष्ट्र इस समस्या से अछूता नहीं है। इस दिशा में प्रयास तो किये जा रहे हैं, लेकिन पूर्णतया प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं। इसके पीछे गरीबी और अशिक्षा सबसे बड़ा कारण है साथ ही सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, सामाजिक सुरक्षा की चिंता, जागरूकता की कमी जैसे अनेक कारण है परन्तु जीवन में अनुशासन, आध्यात्मिकता, संस्कारों की कमी और सम्मान की भावना भी इसे बढा रही है।

ज्ञात हो कि रेस्क्यू फाउंडेशन द्वारा रेस्क्यू की गयी लड़कियों के लिये विगत कई वर्षों से परमार्थ निकेतन में रिट्रीट का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। जहां उन्हें अपने घर की तरह रखा जाता हैं। विभिन्न गतिविधियों के द्वारा उनके मनोबल को बढ़ाने की कोशिश की जाती है तथा उनके मन में अपने ही प्रति जो हीन भावना व अपमान की भावना है उससे उपर उठने के लिये अनेक आध्यात्मिक गतिविधियों के माध्यम से उन्हें सिखाया जाता है।

स्वामी जी ने कहा कि इन बच्चियाँ ने छोटी उम्र में जो विश्वासघात, वेदना और अत्याचार सहन किया है, उन्हें जो माहौल मिला उससे उबरने के लिये प्रेम, करूणा और विश्वास की जरूरत है तभी वह अपने जीवन में आगे बढ़ सकती हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने बच्चियों से भेंटवार्ता की और उनकी कई जिज्ञासाओं का समाधान दिया। उन्हें बताया कि आप अपवित्र नहीं है, आप सब दिव्य है। अब आप के सामने एक सुनहरा भविष्य है जिस पर आपको आगे बढ़ना है।

श्रीमती त्रिवेणी आचार्य जी ने बताया कि वे अपने पति श्री बालकृष्ण आचार्य जी के साथ 1993 में एक लड़की को बचाने के लिये गये थे। उस पहले रेस्क्यू ऑपरेशन ने सब कुछ बदल दिया क्योंकि वे 1 लड़की को बचाने गये थे और वहां पर चौदह लड़कियां और थी, तब उन्हें एहसास हुआ कि अभी तो बहुत काम करना बाकी है। बचाई गई लड़कियों को नेपाल उनके गृह देश वापस छोड़ने में मदद करने के बाद, उन्होंने मुंबई में रेस्क्यू फाउंडेशन की स्थापना की तब से इस संगठन ने हजारों महिलाओं और लड़कियों जिन्हें जबरन वेश्यावृत्ति में डाल दिया जाता है उन्हें रेस्क्यू कर हम अपने सेंटर्स में रखते हैं और उन्हें शिक्षा व व्यवसायिक शिक्षा दी जाती है। 1993 से यह संगठन पीड़ितों को व्यावसायिक यौन शोषण से मुक्त करने हेतु कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब उनके जीवन का उद्देश्य ही महिलाओं और लड़कियों को जबरन वेश्यावृत्ति से बचाना व मानव तस्करी को रोकना है।

आज रेस्क्यू फाउंडेशन की बच्चियों और उनके संरक्षकों ने परमार्थ निकेतन से विदा ली। उनके आंखों में आंसू थे, ऐसे लग रहा था मानों वे अपने ही घर को छोड़कर विदा ले रही हो। कोई भी जाने को तैयार नहीं था, ये जो भाव है वह अद्भुत है। रेस्क्यू फाउंडेशन के साथ परमार्थ निकेतन मिलकर कार्य करेगा ताकि आगे भी बेटियों को बचाया जा सके।