Basant Panchami Visit of the Hon’ble Governor of Uttarakhand

The Hon’ble Governor of Uttarakhand Smt Baby Rani Mauryaji graced her Himalayan Home at Parmarth Niketan, Rishikesh on the auspicious occasion of Basant Panchami. Blessing Vinod and Arunima who were getting married at the Ashram on the auspicious occasion as well as giving them Param Pujya Swamiji’s blessings and sacred Rudraksha sapling she shared reminisced last year’s Basant Panchami programme at the Rishikesh Railway Station. She was informed that due the pandemic the 2 lakh tree plantation had been postponed but with the rolling out of the vaccine and as soon as it is safe to do so these tree plantation would soon begin. Observing fast on this sacred occasion she offered her pranaams to Maa Lakshmi in Pujya Maharajji’s jyopri and with a bit of palhar promised to return back when Pujya Swamiji returns from abroad.

Later in the Aarti the couple was given special mantras for a happy married life and sutras to live together in this new chapter of their lives with happiness and in harmony.

बसंत पंचमी की शुभकामनायें
राज्यपाल उत्तराखंड माननीय बेबी रानी मौर्य जी पधारी परमार्थ निकेतन
बसंत पंचमी पूजन में किया सहभाग
वेदमंत्रों के साथ माँ सरस्वती जी को पुष्पहार अर्पित किया
बसंत का संदेश – जीवन में आनंद ही आनंद-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 16 फरवरी। आज बसंत पंचमी के पावन अवसर पर उत्तराखंड की राज्यपाल माननीय बेबी रानी मौर्य जी परमार्थ निकेतन पधारी। परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने श्रीमती मौर्य जी का स्वागत और अभिनन्दन किया। तत्पश्चात उन्होंने बसंत पंचमी पूजन में सहभाग कर माँ सरस्वती जी को पुष्पहार अर्पित कर उत्तराखंड की समृद्धि हेतु प्रार्थना की।

माननीय राज्यपाल बेबी रानी मौर्य जी ने परमार्थ निकेतन में आयोजित अपने पारिवारिक विवाह समारोह में सहभाग कर वर-वधू को शुभ आशीष प्रदान किया।

राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी ने कहा कि विगत बसंत पंचमी के अवसर पर पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ था और इस वर्ष पुनः बसंत पंचमी के अवसर पर माँ गंगा के तट पर आने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि ’’बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा गया है। बसंत पंचमी के आते ही प्रकृति में फूलों खिलने लगते है और नई फसल का आगमन होने लगता है। बसंत के अवसर पर प्रकृति की खूबसूरती अपने चरम पर होती है उसी खूबसूरती को बनाये रखने के लिये हम सभी मिलकर प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण हेतु अपना योगदान प्रदान करें।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को बसंत पंचमी की शुभकामनायें देते हुये कहा कि माँ सरस्वती सभी के जीवन में ज्ञान, उल्लास, उमंग, दिव्यता और शान्ति की दिव्य तरंगों का संचार करें। बसंत आता है तो बहार लाता है; बसंत आता है तो प्रकृति अपने अद्भुत रंग बिखेरती है जिससे चारों ओर हरियाली और खुशहाली बिखर जाती है। आईये हम भी अपने जीवन को कुछ ऐसा बनाये कि किसी के काम आयें और किसी के जीवन का उजाला बने। हमारा जीवन व शरीर केवल हमारा नहीं है बल्कि इसके निर्माण में हमारे पूर्वजों, माता-पिता, आने वाली पीढ़ियों के साथ समाज और प्रकृति का भी महत्वपूर्ण योगदान है। हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिये प्रकृति, समाज और पूरे ब्रह्मांड पर निर्भर रहना पड़ता है उसी प्रकार अगर हमारे द्वारा कोई सकारात्मक कार्य किया जाता है तो उसका प्रभाव भी पूरे ब्रह्मांड पर पड़ता है इसलिये हम स्वस्थ व आनंदित रहें और पूरे ब्रह्मांड को भी स्वस्थ एवं आनंदित रखें यही बसंत पंचमी हमें संदेश देती है।

बसंत पंचमी के पावन अवसर पर आज परमार्थ निकेतन में श्री हरीशंकर शर्मा जी और शिवोह्म् परिवार ने भण्डारा का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन में विश्व कल्याण हेतु तीन दिवसीय साधना शिविर का आयोजन किया गया था जिसका आज समापन है।