Pujya Swamiji and Sadhviji Visit Iceland

HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswatiji celebrated India’s 75th Anniversary of Independence in Iceland with members of the Parmarth Parivar, sending love Home to India and sharing the beautiful thoughts and words of the late and renowned Indian poet, Nida Fazli, to express the wonderful coordination between development and freedom.

Pujya Swamiji so eloquently explains that “Freedom does not only mean our freedom. When the trees and plants are given full freedom, it leads to a glorious explosion of new trees and plants. Similarly, only in a free environment can any nation reach the highest peak of progress. It is through freedom that new thinking, new ideas, art, new production, quality of life and best paths of progress develop. Freedom is absolutely necessary for the all-round development of the country and its people. Just as the rights or freedoms of one person should not be a hindrance to the rights or freedoms of another, our rights should not be a hindrance to the development and growth of nature and the environment.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आइसलैंड में मनाया भारत की आज़ादी का जश्न

गंगा से ग्लेशियर और पूर्व से पश्चिम तक भारत की आज़ादी का महोत्सव

आजादी का महोत्सव जिसमें सभी आजाद हों

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 16 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने प्रवासी भारतीयों के साथ आइसलैंड में भारत की आज़ादी का जश्न मनाया। राष्ट्रीय ध्वज की महिमा, गौरव और गरिमा के विषय में जानकारी देते हुये स्वामी जी ने कहा कि ‘कहीं उड़ने दो परिंदे कहीं उगने दो दरख्त’ निदा फाजली की यह खूबसूरत पंक्तियाँ विकास और स्वतंत्रता के मध्य अद्भुत समन्वय की अभिव्यक्त करती हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वतंत्रता का आशय केवल हमारी आजादी से ही नहीं है बल्कि पूरे राष्ट्र के लिये स्वतंत्रता कितनी महत्वपूर्ण है यह इतिहास के पृष्ठों में बखूबी बयाँ किया गया हंै। स्वतंत्रता की जरूरत जितनी हमें है उतनी ही प्राणियों, पक्षियों एवं पेड़ पौधों को भी होती है। पिंजरे में बंद पंछी जब दूर आसमान में उड़ते हुए दूसरे पंछी को देखते हैं तब उन्हें स्वतंत्रता का मूल्य समझ में आता हंै। ऐसे ही जब पेड़-पौधों की प्रजातियों को भरपूर स्वतंत्रता दी जाये तो उससे विशाल वन और अनगिनत प्रजातियों की उत्पत्ति हो सकती है।

स्वतंत्रता के द्वारा ही नई सोच, नए विचार, कला, नित नए उत्पादन, जीवन की गुणवत्ता और प्रगति के सर्वोत्तम मार्गों का विकास होता है। स्वतंत्र वातावरण में ही कोई भी राष्ट्र प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर जा सकता है। देश और देशवासियों के सर्वांगीण विकास के लिये स्वतंत्रता नितांत आवश्यक है। जिस प्रकार एक व्यक्ति का अधिकार या उसकी स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति के अधिकारों या उसकी स्वतंत्रता में बाधक नहीं होना चाहिए। उस प्रकार हमारी स्वतंत्रता प्रकृति और पर्यावरण के विकास में भी बाधक नहीं होनी चाहिये।

हम सभी को अपने जीवन की इस दौड़ में दो पल ठहर कर पीछे जरूर देखना चाहिये की हमने क्या खोया और क्या पाया। आजादी का जश्न ऐसा हो जिसमें सभी आजाद हों।

स्वामी जी के पावन सान्निध्य में सभी अनुयायियों ने स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर प्रकृति, संस्कृति और संतति की रक्षा का संकल्प लिया।