Padma Vibhushan Sri Sri Ravi Shankar Visits Parmarth Niketan

आध्यात्मिक गुरू, मानवतावादी चिंतक और आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी परमार्थ निकेतन पधारे। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शंख ध्वनि और वेद मंत्रों से श्री श्री जी का अभिनन्दन किया।

परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री श्री रविशंकर जी की दिव्य आध्यात्मिक भेंटवार्ता हुई। तत्पश्चात दोनों पूज्य संतों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर जी ने वैश्विक स्तर पर होने वाली अनेक शान्ति वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी तथा सामाजिक स्तर पर नैतिकता को पुनर्जीवित करने हेतु अद्भुत कार्य कर रहे हैं। वे वैश्विक स्तर पर योग, ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है।

श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि ऋषिकेश योग की वैश्विक नगरी है, प्राचीन आध्यात्मिक नगरी है परन्तु वर्तमान वैश्विक पीढ़ी इस नगरी को परमार्थ निकेतन गंगा आरती के माध्यम से जानती है। गंगा जी की आरती के आध्यात्मिक आयोजन के माध्यम से पूज्य स्वामी जी वैश्विक समस्याओं के साथ-साथ पर्यावरण की समस्याओें के विषय में सभी को जागरूक करते हैं। प्रतिदिन शाम को इस अद्भुत उत्सव के माध्यम से हजारों-हजारों श्रद्धालुओं को जीवन का मार्ग, एक श्रेष्ठ सोच और संस्कारों से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है।

श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि महाराज जी के विचारों में ही नहीं बल्कि वाणी में भी सरस्वती है। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर जब हवन, वेद मंत्रों का गायन, भजन और महाराज जी का सान्निध्य प्राप्त होता है तो सारी प्रकृति प्रसन्न हो जाती है।

महाराज जी सभी को; पूरे विश्व को जोड़कर आगे बढ़ते हैं, वे वास्तव में एक पथप्रदर्शक है। महाराज जी, हम सब एक है, वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश ही नहीं देते बल्कि सभी को जोड़ते भी हैं। परमार्थ गंगा आरती के ये क्षण आनन्द के अनमोल क्षण है, इन क्षणों को जीवन का उत्तम क्षण माना गया है। परमार्थ निकेतन गंगा तट पर गंगा ही नहीं ज्ञान गंगा भी प्रवाहित होती हैं। भव्य-भव्य, दिव्य-दिव्य वाह क्या स्वर्ग है, अद्भुत और अलौकिक है।

स्वामी जी ने श्री श्री रविशंकर जी को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। दोनों पूज्य संतों ने विश्व शान्ति यज्ञ में आहुतियाँ समर्पित कर विश्व मंगल की प्रार्थना की।