Pujya Swami Govind Dev Giriji Maharaj Visits Parmarth

Pujya Swami Govinda Dev Giri ji Maharaj, visited the Parmarth Niketan Ashram. The occasion was marked by interfaith prayers and the distribution of hygiene kits to students today, on the occasion of World Hand Hygiene Day, Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, Pujya Swami Govindadev Giri ji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswati ji and emphasized the importance of cleanliness and spirituality. Discussions covered various contemporary topics, highlighting the significance of purity in thought and action. Additionally, there was a focus on health awareness and the importance of hand hygiene for overall well-being.


परमार्थ निकेतन में कोषाध्यक्ष, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या, स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज जी पधारे। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने शंख ध्वनि व वेद मंत्रों से दिव्य अभिनन्दन किया।

आज 5 मई विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, स्वामी गोविन्द देव गिरि जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों को स्वच्छता, शुचिता व शुद्धता का बाह्म और आध्यात्मिक स्तर पर महत्व समझाते हुये हाइजीन किट वितरित किये।

स्वामी जी और स्वामी गोविंद देव गिरि जी की आत्मिक भेंट वार्ता के पश्चात विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा हुई। स्वामी जी ने कहा कि आप शुचिता, शुद्धता व दिव्यता की प्रतिमूर्ति हैं। आप के जीवन में संत, ऋषि व राष्ट्रऋषि का अद्भुत समन्वय।

ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और हार्पिक वल्र्ड टाॅयलेट काॅलेज के संयुक्त तत्वाधान में आज विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के अवसर पर ‘सेव लाइव्स – क्लीन योर हैंड्स’ अभियान के अन्तर्गत स्वास्थ्य देखभाल हेेतु हाथ की स्वच्छता का महत्व बताया। ऋषिकुमारों को स्वच्छता का महत्व समझाते हुये कहा कि स्वास्थ्य देखभाल के लिये हाथ की स्वच्छता में सुधार करना अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अपने जीवन को बचाएं रखने के लिये अपने हाथ साफ करें क्योंकि हाथों की स्वच्छता में ही स्वस्थ जीवन का राज समाहित हैं। स्वच्छ हाथ, स्वच्छ शरीर, स्वच्छ मन और स्वच्छ विचार ये चारों स्वास्थ्य के पिलर है। स्वच्छ हाथ व स्वच्छ शरीर होगा तो हम निरोगी रहेंगे और स्वच्छ मन व स्वच्छ विचार होंगे तो हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य और तनावमुक्त जीवन जी सकते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि अध्यात्म में शुचिता व शुद्धता का बड़ा ही महत्व है। स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है ’’पवित्र और शुद्ध रहो! और कोई रास्ता नहीं।’’ अध्यात्म कहता है कि ’’मन, वचन और कर्म में सदैव और सभी स्थितियों में शुद्धता बनाये रखे क्योंकि शुद्धता ही सभी धर्मों का आधार है। शुद्धता अपने साथ सौम्यता, प्रेम और पवित्रता भी लेकर आती हंै।

स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार पवित्र मस्तिष्क में विलक्षण ऊर्जा और अपार इच्छा-शक्ति होती हैं तथा पवित्रता व शुचिता ही भारत जैसे राष्ट्र का जीवन है। दिव्य ज्ञान, भक्ति, ध्यान और शुद्धता के बिना आध्यात्मिक मार्ग पर नहीं बढ़ा जा सकता, उसी प्रकार हाथों की स्वच्छता के बिना निरोग जीवन नहीं जी सकते। आज का दिन हमें यही याद दिलाता है।

स्वामी गोविन्द देव गिरि जी ने ऋषिकुमारों से चर्चा के दौरान कहा कि अपने हाथों को शुद्ध करने के लिये; हाथों को स्वच्छ करने के लिये साबुन से हाथ धोना जरूरी हे। उन्होंने कहा कि देसी गाय के गोमुत्र से भी हाथों को स्वच्छ किया जा सकता है। हाथों को स्वच्छ तो आप सभी मिट्टी से, साबुन से या गोमुत्र से भी कर सकते हैं परन्तु शुद्धता कैसे आयेगी क्योंकि स्वच्छता एक अलग बात हैं और शुद्धता एक अलग बात है। अपने हाथों से रोज कोई न कोई एक सत्कर्म होगा तो शुद्धता आयेगी इसलिये छोटे-छोटे सकारात्मक संकल्प रोज हमारे हाथों से होने चाहिये। किसी का सहयोग करना, किसी की मदद करना, सब के साथ मिलकर कार्य करना, पौधों को पानी देना ये छोटे-छोटे सेवा कार्य जीवन को शुद्ध बनाते हैं। हमारे जीवन का उद्देश्य भारत माता की सेवा करना होना चाहिये ताकि हमारा जीवन सार्थक हो।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज को भेंट किया।