Hydro Empowerment Network Chief and Padma Bhushan Award Recipient Dr. Anil Prakash Joshi Visits Parmarth

Hydro Empowerment Network chief and Padma Bhushan Award recipient, Dr. Anil Prakash Joshiji, paid a visit to Parmarth Niketan today to begin discussions on the outline of this year’s Himalaya Diwas, coming up on 9th of September. In His message about the meeting, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji shared: The Himalayas are not only related to India but are the soul of India. They are a sacred heritage of India’s material richness, divinity, natural splendor and cultural beauty that has preserved Indian values. They provide housing, food and security to more than 50 million people. No mountain range in the world has the power to provide life, courage and prosperity to the world as the Himalayas have. The Himalayas have positively influenced the lives of the masses. The Himalayas have an important contribution in shaping India and the world.

To commemorate the event, Shri Joshiji joined Senior Parmarth Niketan Associate, Ganga Nandiniji; members of the Global Interfaith WASH Alliance; Shri Om Prakash Singh Ji; Smt. Neetu Singh Ji; and, the RishiKumars of Parmarth Gurukul to offer a message of water conservation by performing the Jalabhishek of the World Globe.

पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित हेस्को प्रमुख डॉ. अनिल प्रकाश जोशी जी पधारे परमार्थ निकेतन
हिमालय दिवस की रूपरेखा पर हुई चर्चा

योग और ध्यान टूरिज्म, पीस टूरिज्म, आॅक्सीजन टूरिज्म पर विशेष चर्चा

भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान –

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 6 अगस्त। परमार्थ निकेतन में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित हेस्को प्रमुख डॉ. अनिल प्रकाश जोशी जी पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ कार्यकर्ता सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी से 9 सितम्बर को मनाये जाने वाले हिमालय दिवस की रूपरेखा पर चर्चा की। तत्पश्चात अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरियाणा श्री ओमप्रकाश सिंह जी, श्रीमती नीतू सिंह जी एवं परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के साथ विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर जल संरक्षण का संदेश दिया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि हिमालय है तो हम है और हिमालय है तो गंगा है। दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है।

स्वामी जी ने कहा कि उत्तर भारत की अधिकांश नदियां हिमालय से ही निकलती है। बर्फ की सफेद चादरों से ढ़के हिमालय की गोद में भारत की आत्मा बसती है। हिमालय हमारी प्राणवायु का स्रोत ही नहीं बल्कि भारत की बड़ी आबादी की प्यास भी बुझाता है इसलिए तो उसे ’पृथ्वी का जल मीनार’ भी कहा जाता है। हम सभी को मिलकर पीस टूरिज्म, आॅक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। हमें हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखना होगा।

हेस्को प्रमुख डॉ. अनिल प्रकाश जोशी जी ने कहा कि गांवों की संस्कृति की रक्षा कर हम अपने प्राकृतिक स्रोतों, संसाधनों को बचा सकते हैं। हिमालय के अस्तित्व को जीवंत बनाये रखने के साथ पलायन को रोकने के लिये जड़ी-बूटियों का संरक्षण करना होगा।