Hoisting the Flag to Celebrate India’s 75th Independence Day in Rajaji National Park

As this year’s highly-successful Kanvad Yatra draws to a close in the last week of Shravan, and on the occasion of the 75th Azadi Ka Amrit Mahotsav, acharyas, sevaks and rishikumars of Parmarth Niketan, with the blessing of HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, carried our nation’s Tricolor to Rajaji National Park as part of the Hon’ble Prime Minister, Shri Narendra Modiji’s “Har Ghar Tiranga” campaign encouraging all Indians to bring the Tiranga home and to hoist it to mark India’s 75th Independence Day. The campaign was a part of an array of Parmarth’s extensive Yatra-related programmes and initiatives that included a medical camp, clean water distribution center, tree plantations and cleanliness resolutions for the Kanwaris.

Param Pujya Swamiji called upon all Indians of Bharat and those living abroad to allow the spirit of India to be awakened in their hearts, and loyalty to their culture and traditions to be affirmed. “Har Ghar Tiranga,” He shared, “will inculcate the feeling of patriotism in every child and will raise awareness about the history and importance of the national flag, the Tricolor!

“Let us all contribute our part in moving India towards a new India. Whenever anyone mentions India, we remember the golden spiritual saga of India and the glorious era that always guided the world. If we look at any period of history, India has always been on the path of peace. Be it the Bhakti period or the Renaissance period, India gave priority to peace, tolerance and harmony before development. Indian Spirituality, rites, philosophy, and culture were for the development of the universe in every age. Let us remember this glorious history and keep moving forward with our commitment to national progress.

75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव

परमार्थ निकेतन द्वारा हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत कांवडियों के साथ मनाया तिरंगा सम्मान समारोह

राष्ट्र ध्वज के सम्मान और गरिमा को बनाए रखते हुए कांवडियों को वितरित किये तिरंगे

तिरंगे का सम्मान का कराया संकल्प

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी भारतीयों को अपने-अपने घरों में ध्वज फहराने हेतु किया प्रोत्साहित

9 अगस्त। परमार्थ निकेतन द्वारा श्रावण माह के अन्तिम सप्ताह में कावंड यात्रा के दौरान कांवडियों के लिये चिकित्सा सेवा, जल मन्दिर सेवा, पौधा वितरण, स्वच्छता संकल्प जैसी विभिन्न गतिविधियों और सेवा प्रकल्पों का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। इस वर्ष 75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर हर घर तिरंगा अभियान को प्रोत्साहित करने के लिये कांवडियों के साथ बाघखाला, राजाजी नेशनल पार्क, परमार्थ चिकित्सा शिविर में तिरंगा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अभियान के अंतर्गत कांवडियों को तिरंगे वितरित करते हुये तिरंगे का सम्मान का संकल्प कराया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों और कांवडियों ने राजाजी नेशनल पार्क में तिरंगा रैली निकाली और हर घर तिरंगा अभियान के प्रति श्रद्धालुओं को जागरूक किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रवासी भारतीयों और भारतीयों का आह्वान करते हुये कहा कि देश और विदेश में रहते हुये अपने हृदय में स्वदेश की भावना जागृत रहे तथा अपनी संस्कृति और संस्कारों के प्रति निष्ठा बनी रहे। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश भर में हर घर तिरंगा राष्ट्रीय अभियान की शुरूआत की हैं। स्वामी जी ने कहा कि इस अभियान से प्रत्येक बच्चे में देशभक्ति की भावना जागृत होगी तथा प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के प्रति जागरूकता भी आयेगी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि आज बहुत ही ऐतिहासिक दिन है, आज भारत छोड़ो आंदोलन के 80 वर्ष पूरे हो गए हैं, इस अगस्त क्रांति के अवसर पर कांवडियों के साथ तिरंगा सम्मान कार्यक्रम का आयोजन करना हम सभी के लिये गौरवान्वित करने का विषय हैं।

भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए तथा भारत छोड़ो आंदोलन की भावना को पुनर्जीवित करते हुए माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महात्मा गांधी के ‘करो या मरो’ नारे के साथ एक नया नारा ‘करेंगे और करके रहेंगे’ दिया, जिसका उद्देश्य भारत को वर्ष 2022 तक ‘न्यू इंडिया’ बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करना है। आईये आज हम सभी भारत को नये भारत की ओर बढ़ाने में अपना-अपना योगदान प्रदान करें।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत, नाम लेते ही भारत की स्वर्णिम आध्यात्मिक गाथा और एक शानदार युग याद आता है, जिसने हमेशा से विश्व का मार्गदर्शन किया। इतिहास के किसी भी काल-खंड को देखंे तो भारत हमेशा से शान्ति की राह पर अग्रसर होता रहा है। चाहे वह भक्ति काल हो या पुनर्जागरण काल, भारत ने विकास से पहले शान्ति, सौहार्द, सहिष्णुता और सद्भाव को प्राथमिकता दी। भारतीय अध्यात्म, संस्कार, दर्शन, और संस्कृति हर युग में सृष्टि के विकास के लिये ही थी। आईये इस गौरवशाली इतिहास को याद रखे और राष्ट्र हित के संकल्पों के साथ आगे बढ़ते रहे।