Govardhan Puja and Annakoot Mahotsav organized in Parmarth Niketan

परमार्थ निकेतन में महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के दिव्य आशीर्वाद से गोवर्धन पूजा व अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया गया।

महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपाद तिथि को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा अर्थात प्रकृति की पूजा, गोधन यानि गौ माता की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन धाम के लोगों को तूफानी बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत अपने हाथ पर ऊठा लिया था उसी की याद में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और उत्सुकता प्रकट करने के अन्नकूट महाउत्सव मनाया जाता है।

गोवर्धन का यह त्यौहार वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व है। ग्रामीण इलाकों में या कच्चे मकानों में लोग आज भी गाय के गोबर से लोग अपने घरों को रंगरोगन करते हैं। बारिश के दौरान बहुत से बैक्टीरिया या कीटाणु पैदा हो जाते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और गाय के गोबर में इन बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत होती है इसलिये गाय के गोबर से घरों का रंगरोगन करने से सारे बैक्टीरिया या कीटाणु अपने आप मर जाते हैं और संक्रामक बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। अन्नकूट के माध्यम से घर के अनाजों, मोटे अनाजों के महत्व को दर्शाया गया है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट व वीर बाल दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने घोषणा की है कि 26 दिसंबर को अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्रों ’साहिबजादे’ के साहस को श्रद्धांजलि देने के लिये 14 नवम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में चिह्नित किया जाएगा। आज के दिन को इसलिये चुना गया है क्योंकि इस दिन को साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता था, जो मुगल सेना द्वारा सरहिंद (पंजाब) में छह और नौ साल की उम्र में शहीद हुये थे। मुगल सैनिकों ने सम्राट औरंगजेब के आदेश पर आनंदपुर साहिब को घेर लिया और गुरु गोबिंद सिंह जी के दो पुत्रों को पकड़ लिया और उन्होंने धर्म परिवर्तन हेतु मना किया तो उन्हें मारने की कोशिश की गई थी। उन दोनों ने धर्मपरिवर्तन से इनकार कर दिया और इसलिये उन्हें मौत की सजा दी गई और उन्हें जिंदा ईंटों से दीवार में चुनवा दिया गया। इन दोनों शहीदों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मृत्यु को प्राथमिकता दी इसलिये आज का दिन वीर बाल दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है।

स्वामी जी ने सभी गुजराती भाई-बहनों को गुजराती नव वर्ष के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुये कहा कि नव वर्ष आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर आए। यह वर्ष सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ले कर आए। भारत की प्रगति में गुजरात का महत्वपूर्ण योगदान है। गुजराती भाई-बहन सदैव ही नए संकल्पों, नई प्रेरणाओं और नए लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ते रहे हैं। गुजराती नववर्ष न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत को नई उपलब्धि की ऊंचाइयों की ओर ले जायेगा।

आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के शहादत दिवस को समर्पित की गयी।