Feeding the Hungry

Tomorrow is World Hunger Day and, on its Eve, Pujya Swami Chidanand Saraswatiji took a moment while serving at the daily Ganga Ghat Bhojan Vitra to express His deeply-felt concerns about the food conditions for Indian families – especially during Covid’s long-lasting second wave.

“The people of India,” He shared, “have not only lost employment due to the corona epidemic but many have lost their loved ones. This means that there are many households in which single women are the head of the family and the burden of the entire family has fallen on one person…in many homes there are only children left. And, the situation for the disabled, transgendered and other marginalized groups has gotten even worse.

At this time our families must have immediate food. There are many families who do not even have a single day’s meal because their lives are dependent on daily earnings – and there are no jobs! And, in some cases, there is no food. Parmarth Niketan has arranged for pure and sattvic food and water for people struggling with the food shortage in Rishikesh. Everyday, the destitute and saints are being fed. Now, we need those who are capable to come forward to help so that no one goes to sleep hungry in our Nation…so that everyone can get food! The community desperately needs the support of the government and society. Everyone will have to come together to eradicate the hunger of poor people…to save lives!”

विश्व भूख दिवस 2021
भूख मिटाने और जीवन बचाने के लिये आगे आयें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

27 मई, ऋषिकेश। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व भूख दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि भारत की जनता ने कोरोना महामारी के कारण केवल रोजगार ही नहीं खोया है बल्कि अनेकों ने अपनों को खोया है, अपने अधिकारों को खोया है और बहुत कुछ खोया है इस दौर में, परन्तु अब फिर से खड़ा होने के लिये जनसमुदाय को सरकार और समाज के सहयोग और समर्थन का जरूरत है। सभी को मिलकर गरीब लोगों की भूख को मिटाने और जीवन को बचाने के लिये आगे आना होगा।

कोविड-19 केे इस दौर में भारत के गांवों और शहरों में गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी और कुपोषण की स्थिति में अप्रत्यशित वृद्धि हुई है। वर्तमान समय में भूख की समस्या से निपटने के लिये भोजन की बर्बादी पर विशेष ध्यान देना होगा। हिंदू धर्मशास्त्रों में तो अन्न को देवता कहा गया है। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ’अन्नाद् भवन्तु पर्जन्यः, पर्जन्यादन्न संभवः ।। अन्न को अन्न देवता कहा जाता है, क्योंकि इससे मनुष्य के जीवन का निर्वाह होता है। अन्न का व्यक्तिगत और सरकारी स्तर पर सही भण्डारण और वितरण करना नितांत आवश्यक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोविड-19 के कारण असमय जो मौतें हो रही हैं उससे सामाजिक व्यवस्था और अधिक कमजोर हुई है। भारत सहित पूरी दुनिया में विगत एक वर्ष से आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, लोग बेरोजगार हो गये हैं। कई लोगों ने अपनी नौकरी गंवायी है, अब स्थिति यह है कि वैकल्पिक रोजगार भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे इसका सीधा असर आजीविका पर पड़ रहा है। कई घर ऐसे भी हैं जिनमें एकल महिला का नेतृत्त्व शेष रह गया है, पूरे परिवार का भार एक व्यक्ति पर आ गया है, कई घरों में केवल बच्चे ही रह गये हैं। इस समय विकलांगों और ट्रांसजेंडर आदि की स्थिति भी बहुत खराब हो गई है, जिन पर समाज का ध्यान कम ही जाता है। स्थिति यह है कि भूख है परन्तु खाद्य सामग्री नहीं है। पोषण गुणवत्ता में भी अत्यधिक गिरावट आयी है।

भारत इस समय कोविड-19 और ब्लेक फंगस से जंग लड़ रहा है, ऐसे में अनेक लोगों के पास न तो रोजगार है, न रोेजगार के नये अवसर है और न तलाशना सम्भव है। कई बार खाद्य सहायता भी अन्तिम सिरे पर खड़े व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाती। भारत में अधिकांश लोगों के पास पहले से ही कम आय के स्रोत थे उन परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। इस समय कमजोर आबादी को तत्काल भोजन की जरूरत है। कई परिवार ऐसे हैं जिनके पास एक दिन के भोजन की व्यवस्था भी नहीं है। उनका जीवन रोज कमाना और रोज खाना पर ही निर्भर है। अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास स्वच्छ जल जैसी मौलिक सुविधायें भी नहीं हैं। परमार्थ निकेतन ने ऋषिकेश में भोजन की समस्या से जूझ रहे लोगों लिये शुद्ध और सात्विक भोजन और शुद्ध जल की व्यवस्था की है। प्रतिदिन निराश्रितों और संतों को भोजन कराया जा रहा है। पूज्य स्वामी जी ने देशवासियो का आह्वान करते हुये कहा कि जो समृद्ध और सामर्थ्यवान लोग है वे आगे आयें ताकि हमारे देश में कोई भी भूखा न सोये; सभी को भोजन प्राप्त हो सके।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के एक अध्ययन के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 207 मिलियन लोग कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव के कारण वर्ष 2030 तक अत्यधिक गरीब हो जाएंगे। प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किये गए एक नए शोध के अनुसार कोविड-19 ने लगभग 32 मिलियन भारतीयों को मध्यम वर्ग से बाहर कर दिया है, जिससे भारत में भी गरीबी बढ़ गई ह|