Cleanliness Drive from Parmarth to Rajaji National Park During Harela Festival

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों, आचार्यों और सेवकों ने स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली तथा परमार्थ निकेतन से बाघखाला स्वच्छता अभियान चलाया।

नीलकंठ मार्ग पर कांवड यात्रा के दौरान कांवडियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिये स्वच्छता रैली निकाली। कांवडियों को यात्रा के दौरान स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वातावरण के बनाये रखने का संदेश दिया। स्वच्छता, उत्तम स्वास्थ्य, मानसिक विकास एवं सामाजिक कल्याण में सुधार के साथ-साथ संक्रमण को रोकने के लिये अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के बीच अत्यंत गहरा संबंध है। हमारा परिवेश स्वच्छ होगा तो स्वास्थ्य जोखिम भी कम होगा। यात्रा के दौरान स्वच्छता बनाये रखना हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। कांवड यात्रा में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छता को बढ़ावा देना होगा तभी यात्रा को सुरक्षित व स्वच्छ बनाया जा सकता है।

यदि हमारा पर्यावरण स्‍वच्छ नहीं होगा तो जल और वायु दूषित होगी। यदि हम अपने परिवेश की स्‍वच्‍छता के प्रति सजग होंगे तो हमारा पर्यावरण भी स्‍वच्‍छ होगा इसलिये आइए, स्‍वच्‍छता का हिस्‍सा बन कर अपने पर्यावरण को स्‍वच्‍छ रखने में योगदान दें। स्‍वच्‍छता को बनाये रखें, स्‍वच्‍छता को बढावा दें और तीर्थों को स्वच्छ और सुंदर बनाएं। स्वच्छता की कमी के कारण संक्रमण और बीमारियाँ होने का खतरा बना रहता हैं।

प्रकृति आधारित विकास और प्रकृति आधारित समाधान के साथ हम अपनी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रख सकते हैं। अब समय आ गया है कि अपने फ्यूचर, नेचर और कल्चर की रक्षा के लिये हमें पौधा रोपण, संरक्षण करने के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा तभी हम अपनी भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरिक्षत रख सकते हैं।

कांवड यात्रा के दौरान प्लास्टिक की बाॅटल, सिंगल यूज प्लास्टिक के बैग और ंिसंगल यूज प्लास्टिक के रेनकोट का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता हैं, जो कि मानव और पर्यावरण दोनों के लिये घातक है। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में सिंगल यूज प्लास्टिक से वन्य जीवों के साथ प्राकृतिक वातावरण भी प्रभावित होने का खतरा बना रहता है इसलिये कांवडियों को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाकर प्लास्टिक कचरे को फैलाने से रोकने के साथ -साथ प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा।

कांवड यात्रा के दौरान एकल उपयोग प्लास्टिक से बने रेनकोट को एक बार उपयोग कर वहीं पर छोड़ दिया जाता है जिससे वन्य जीवन और प्र्यावरण दोनों प्रभावित होते है। अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2050 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 5-10 प्रतिशत के लिये जिम्मेदार हो सकता है।

कांवड़ यात्रा में आज का युवा बहुत उत्साह से भाग ले रहा है। युवाओं को यात्रा के उत्साह के साथ ही कांवड़ यात्रा का इतिहास और उसके महत्व के विषय में भी जानकारी होनी चाहिये। कांवड़ यात्रा का मतलब यह नहीं कि हम गंगा जल लेकर जायें और भगवान शिव का अभिषेक करे बल्कि हमें इसकेे इतिहास को जानना होगा।

स्वच्छता रैली में सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, मारिया, रामचन्द्र शाह, राकेश रोशन, कृष्ण कुमार, सुखनूर कौर ओबेराय, रेशमी, ज्योति, उपासना पात्रा, प्रवीण कुमार, भारती, नेगी, अशोक, और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने स्वच्छता स्लोगन और नारों के साथ रैली निकाली तथा स्वच्छता अभियान चलाया।