पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज का 58 वां महानिर्वाण महोत्सव

परमार्थ निकेतन के संस्थापक पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज के 58 वाँ महानिर्वाण महोत्सव के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें पूज्य संतों और दैवी सम्पद मंडल के पूज्य महामंडलेश्वर व भक्तों ने सहभाग कर श्रद्धाजंलि अर्पित की। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी परमार्थ निकेतन में गुरूपूर्णिमा से पांच दिवसीय श्रद्धाजंलि महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें अखंड रामायण, सत्संग, कीर्तन और विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती है।

महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जीवन संतुलन का नाम है, परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा के लिये समर्पित कर दिया। वे कहा करते थे कि संसार में रहे परन्तु संसार को अपने में न रहने दे।

उन्होंने महानिर्वान महोत्सव के अवसर पर कहा कि वास्तव में इच्छाओं का जीवन में न होना ही निर्वाण है; जीवन रहते संतुष्ट होना ही निर्वाण हैं। संबंधों में फंसे रहना; उलझे रहने से मोक्ष; मुक्ति नहीं मिल सकती। जब मन सभी आवृत्तियों और अवधारणाओं से मुक्त हो जाता है तभी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। जीवन में आत्म शान्ति व संतोष की अवस्था ही विश्राम, निर्वाण है। निर्वाण शून्यता का बोधक है, निर्वाण मन की परम शांति को दर्शाता है। जिसने जीवन में शांति को पा लिया है, जिसके मन में सभी के लिए दया हो और जिसने सभी इच्छाओं और बंधनों का त्याग कर दिया हो वही शांति प्राप्त कर सकता है। इच्छाओं का जड़ से नाश हो जाए वही निर्वाण है और यही संदेश पूज्य महामंडलेेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज ने दिया है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि निर्वाण ही परम आनंद है। यह आनंद चिरस्थाई और सर्वोपरि होती है, आनंद नश्वर वस्तुओं की खुशी से प्राप्त नहीं होता है।

महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में श्रद्धाजंलि समारोह व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।

महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी, श्री स्वामी ज्योतिर्मयानंद सरस्वती जी महाराज अध्यक्ष श्री दैवी संपद् मंडल आश्रम रायबरेली, आनंद आश्रम बरेली, लवकुश नगर बिठूर कानपुर, एकाक्षरानंद आश्रम बिरारी इटावा, श्री स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी, महामंडलेश्वर एकरसानंद आश्रम मैनपुरी उत्तर प्रदेश, स्वामी सर्वेश्वरानंद सरस्वती जी, श्री कृष्ण आश्रम बृजघाट गढ़मुक्तेश्वर, श्री स्वामी कैवल्यानन्द जी, स्वामी ध्यानदास जी, स्वामी केशवानन्द जी, परमार्थ निकेतन, स्वामी सनातन तीर्थ जी, स्वामी विज्ञानन्द जी, स्वामी ब्रह्म चैतन्य जी, श्री रामअनन्त तिवारी जी और अनेक पूज्य संतों ने सहभाग कर श्रद्धाजंलि अर्पित की।