परमार्थ निकेतन में श्री राम कथा मासिक अनुष्ठान का शुभारम्भ

परमार्थ निकेतन के दिव्य प्रांगण में माँ गंगा के पावन तट पर श्री रामकथा मासिक अनुष्ठान का शुभारम्भ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में प्रसिद्ध मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी महाराज के मुखारबिन्द से हुआ।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मासिक मानस कथा अपने आप को तन, मन और धन से समर्पित करने का अवसर प्रदान करती हैं। एक माह तक प्रभु श्री राम जी की कथा का श्रवण, मनन और निदिध्यासन करे। मासिक कथा पढ़ने से पीने और फिर पीने से जीने की यात्रा है। मानस कथा हर मन की कथा है; हर घर की कथा है और हर दिल की कथा है।

आज विश्व परिवार दिवस भी है यह अवसर है कथा के माध्यम से भगवान श्री राम के पावन जीवन की कथा हम सब के जीवन की कथा बने। भगवान श्री राम के चरण, उनकी शरण और आचरण हम सब के जीवन का ध्येय बने इस भाव से हम सब कथा श्रवण करेंगे।

प्रभु श्री राम का चरित्र अद्भुत है जो पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर सकता है। श्री राम कथा न केवल भारत में गायी जाती है बल्कि विश्व के अनेक देशों में गायी जाती है। आप सब अपने भीतर हनुमान जी की ऊर्जा को भरे और अपने अन्दर की लंका को ढा ने का प्रयास करे।

स्वामी जी ने कहा कि श्रीराम कथा और हनुमान चरित्र हम सब को उत्साह, उमंग और उल्लास से भर देता हैं और जब वह ऊर्जा जीवन में आती है तो जीवन प्रफुल्लित हो जाता है; जीवन उत्सव बन जाता है और जीवन महोत्सव बन जाता है। जीवन को महोत्सव बनाने के लिये है यह मासिक मानस कथा। आज विश्व परिवार दिवस पर हम सब एक परिवार बन जाये। हम कथा में प्रवेश करे और कथा हम में प्रवेश करे यही मानस कथा का सार है।

स्वामी जी ने सभी को संकल्प कराया कि हम सब एक परिवार बन कर रहे यही विश्व परिवार दिवस पर संदेश है।

कथाकार श्री मुरलीधर जी ने मानस कथा का शुभारम्भ करते हुये कहा कि वर्तमान समय मे ंहम जातिवाद के प्रखर रोग से जूझ रहे हैं। यह एक ऐसा रोग है जिसने किसी को नहीं छोड़ा परन्तु किसी भी वर्ण में जन्म लेने वाला व्यक्ति अगर भगवान श्री राम जी के चरित्र को जीवन में उतार लेता है तो सही मायने में मानव वही है, मानस कथा का यही सार है। जिसके जीवन में सम्पूर्ण मानस है वही मानव कहलाने का अधिकारी है।

उन्होंने कहा कि मानस अर्थात् म-मर्यादा, अ-आदर्श, न-नम्रता, स-सरलता, जिसका जीवन मर्यादित हो, आदर्शवान हो, विनम्रता हो सही संदेश मानस कथा हमें देती है।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां पर हर दिन पर्व और त्यौहारों का उत्सव मनाया जाता है। हम प्रतिवर्ष श्रीरामनवमी, जन्माष्टमी, दीपावली मनाते है वैसे ही हम विगत कई वर्षो से हम प्रतिवर्ष परमार्थ निकेतन में मासिक श्रीराम कथा का उत्सव मनाते है।

उन्होंने कहा कि मां गंगा के तट और हिमालय की गोद में कथा सुनने का अवसर प्राप्त होना सौभाग्य की बात है। यह एक माह की यात्रा है अतः हमें यह याद रखना है कि इस कथा का सार तत्व अपने साथ लेकर जाये, जिस प्रकार आप नाक से श्वास लेते है परन्तु वह जो आॅक्सीजन है उसका पूरा शरीर पर असर पड़ता है वैसे ही हम जब कथा को सुनते है तो उसका असर पूरा जीवन पर पड़ना चाहिये। कथा श्रवण से न केवल इस जन्म बल्कि आने वाले जन्मों पर भी असर पड़ता है। यह एक माह का समय रामचरित्र मानस के ज्ञान को ग्रहण करने का अवसर हम सभी को प्राप्त हो रहा है।

इस अवसर पर माताजी मीना जी रामावत जी, श्रीमती कृष्णा देवी धर्मपत्नी स्वर्गीय श्री तेजाराम जी जांगिड, सुजानगढ़, राजस्थान एवं सुपुत्र, पुत्रवधू श्री रायचंदजी जांगिड, श्रीमती अर्पिता जांगिड, पौत्र कनिष्क जांगिड और अन्य प्रांतों से आये भक्त व श्रद्धालु प्रेम और आनन्द के साथ मानस कथा का श्रवण कर रहे हैं।