परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में श्रीमद भागवत कथा का शुभारम्भ

In honour of World Book Day today, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji offered a beautiful message encouraging us all to read and connect with the sacred scriptures during the inauguration of the Shrimad Bhagwat Katha from Katha Vyas Govats Shri Radharishna’s Shrimukh.


परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में श्रीमद भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ। गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी के श्रीमुख से श्रीमद भागवत कथा का रस वर्षण पावन परमार्थ गंगा तट पर हो रहा है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर विशेष कर युवाओं को अपने दिव्य शास्त्रों और पुस्तकों के महत्व को समझाते हुये उनसे जुड़ने और पढ़ने का संदेश देते हुये कहा कि पुस्तकों से केवल नई जानकारी ही प्राप्त नहीं होती बल्कि पुस्तकें पढ़ने से एक नया जीवन प्राप्त होता है।

स्वामी जी ने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें पढ़ने से हमारी जिंदगी में विलक्षण परिवर्तन किया जा सकता है। युवा जो देश का भविष्य होते हैं, उन्हें अपनी जानकारी को बढ़ाने के लिये अधिक से अधिक पुस्तकें पढ़नी चाहिए।

पुस्तकें युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा ज्ञान का स्रोत होती हैं जो उन्हें संचार कौशल, सोच की क्षमता, विचारों का विकास, भाषा कौशल, सामान्य ज्ञान आदि के लिए जरूरी होती हैं। हमारे शास्त्र व सद्साहित्य हमें अपने संस्कारों से संस्कृति और दर्शन से जोड़ते हंै, इन्हें पढ़ने व आत्मसात करने से नैतिकता का विकास किया जा सकता है।

पुस्तकें न केवल युवाओं को विशेष ज्ञान व नाॅलेज देती हैं, बल्कि उनके मनोदशा को भी स्थिर करती हैं इसलिए, युवा को पुस्तकों को नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। हम सभी ने पुस्तकों को पढ़-पढ़ कर ही हम बड़े हुए व ज्ञान प्राप्त किया। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी दोस्त भी होती हैं परन्तु अब अक्सर लोग घंटों सोशल साइट्स पर बिता रहे हैं और पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। पुस्तकों से प्राप्त ज्ञान युवाओं की सोचने की क्षमता को बढ़ाता है और युवाओं को अपने लक्ष्यों तक पहुंचने की समझ देता है इसलिए, युवाओं के लिए पुस्तकें एक अति महत्वपूर्ण साधन होती हैं। पुस्तकें में न केवल ज्ञान का संग्रह होता हैं, बल्कि व्यक्तिगत विकास को भी बढ़ाती हैं।

गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में कथा पढ़ना और श्रवण करना दोनों का दिव्य अनुभव प्राप्त होता है। यहां पर कल-कल करती गंगा की तरह की ज्ञान की गंगा सतत प्रवाहित होती है।

हैदराबाद से आये यजमान श्री रामकृष्ण बंग जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन आकर लग रहा है मानों हम स्वर्ग में रह रहे हैं। यहां आकर श्रीमद भागवत कथा के श्रवण के साथ गंगा स्नान, गंगा आरती और सत्संग अत्यंत आनंददायक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा व्यास श्री राधाकृष्ण जी और बंग परिवार को हिमालय की दिव्य भेंट रुद्राक्ष का पौधा देकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया।

श्री रामकृष्ण बंग जी, श्री मनोज बंग, श्री आदित्य बंग, स्नेहा अजमेरा जी, भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये बंग परिवार के सदस्य इस दिव्य और पवित्र वातावरण में भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं।