“Yoga: Preparing Youth for Tomorrow” on IDY Discussion Series

In recognition of the upcoming International Day of Yoga on 21 June, the Ministry of AYUSH, Government of India, the AYUSH Virtual Convention Center, the MDNIY, New Delhi and Assocham came up with an idea – an Idea Series, presented every Sunday in the weeks leading up to the Day. And, today, Parmarth Niketan President, HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji, addressed the Series as keynote speaker to discuss the need to prepare Youth for tomorrow through Yoga.

Pujya Swamiji said that “it is very important to prepare the youth to face the changes taking place all over the world and, for this, yoga and meditation are very useful and helpful. Our youth are competing to meet all of the demands the changing social and economic environment is demanding. But they don’t realize that Yoga is the answer. Yoga is a way of life that helps us find ourselves.

“Also,” He continued, “we must remember that Mother Earth and all of Creation are home for all of us. We must come forward, not as owners of the Earth, but as gardeners, protectors and servants of nature. If our air, water and soil are polluted, how can we keep ourselves healthy? So we have to keep our earth, water, air and the surrounding environment clean and pollution free. Doing yoga, being yoga, living yoga, our life and our environment can both be healthy. Always remember one thing, ‘If we save the earth, we will survive’, if the earth survives, we will survive and culture will survive.

“Finally, because of Covid, everyone is working more and more online. So, everyone is busy on their desktop and laptop. But, more important than our desktop or laptop is our headtop. When we pay attention to our headtop, only then will we be able to remain healthy and stress-free. When we pay attention to our headtop, all ideas are confirmed and we will come out on top. So, do three tasks daily – Meditation, No Reaction and Introspection.

“And, remember that life should doesn’t need to be big but it should be good. Take special care of it.”

इन्टरनेशनल डे आॅफ योगा-2021 विचार श्रृंखला
जीवन बड़ा बने ये जरूरी नहीं पर जीवन बढ़िया बने
धरती बचेगी तो सन्तति बचेगी और संस्कृति बचेगी
पोजीटिव और प्रोड्क्टिव बनें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

30 मई, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के साथ मिलकर आयुष वर्चुअल कन्वेंशन सेंटर, मोरार जी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, ऐसोचैम और अन्य सभी सहयोगी संस्थाओं द्वारा आयोजित ‘इन्टरनेशनल डे आफ योगा-2021 डिस्कशन सीरिज’(विचार श्रृंखला) मुख्य वक्ता के रूप में सहभाग कर ’योग के माध्यम से युवाओं को कल के लिये तैयार करना’ विषय पर सम्बोधित किया।

इन्टरनेशनल डे आॅफ योगा-2021 से पहले उक्त संस्थाओं द्वारा यह विचार श्रृंखला प्रति रविवार आयोजित की जा रही हैं। आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ’योग के माध्यम से युवाओं को कल के लिये तैयार करना’ विषय पर सम्बोधित किया। विगत रविवार ब्रह्मकुमारी सिस्टर शिवानी जी ने सम्बोधित किया था तथा आने वाले रविवार की विचार श्रंखला में सद्गुरू जग्गी वसुदेव जी, ईशा फाउण्डेशन और फिर डाॅ एच आर नागेन्द्र जी, डायरेक्टर एस व्यास यूनिवर्सिटी सम्बोधित करेंगे

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि बदलाव के इस दौर का सामना करने के लिये युवाओं को तैयार करना बहुत जरूरी है और इसके लिये योग और ध्यान बहुत ही उपयोगी और सहयोगी हैं। पूरी दुनिया में बहुत तेजी से बदलाव हो रहे हैं। हमारे युवाओं में बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य के हिसाब से मांगों को पूरा करने हेतु मानों होड़ सी लगी हुई है। उसे पूरा करने के लिये उत्पादक तो बनें पर उत्तेजक या इतने एग्रेसिव न बनें क्योंकि इसका कोई अन्त ही नहीं है-भोगा न भुक्ताः वयमेव भुक्ताः तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा। ये मन मांगे मोर-मोर।

स्वामी जी ने कहा कि आज के युवाओं के पास कौशल तो है पर कम्पेशन (करूणा) कहीं खोती दिखाई दे रही है। युवा स्किल्ड तो हैं पर फुलफिल्ड महसूस नहीं कर पाते हैं और इसका समाधान है योग। योग जीवन की दिशा और दशा ही बदल देता है इसलिये योग करो, रोज करो और मौज करो। योग एक जीवन पद्धति है जो हमें स्वयं को खोजने में मदद करता है। आज हमें ऐेसे योग की शुरुआत करनी होगी जहां हमारा जीवन और हमारा पर्यावरण दोनों स्वस्थ रह सकें। अगर हमारी हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषित है तो हम खुद को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं, इसलिये हमें अपनी पृथ्वी, जल, वायु और आसपास के वातावरण को भी स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखना होगा और इसलिये योग के साथ -साथ धरती योग भी करना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि पूरी सृष्टि हम सबका घर है इसलिये हम सब को अब अपनी धरती माँ के मालिक बनकर नहीं बल्कि माली बनकर, प्रकृति के संरक्षक व सेवक बनकर आगे आना होगा और सेवा करनी होगी। अथर्ववेद में बड़ा ही प्यारा मंत्र है – ‘माता भूमिः पुत्रोऽहम् पृथिव्याः।’ पृथ्वी हमारी माता है और हम धरती की सन्तान हैं इसलिये अपनी धरती का ध्यान रखना होगा, यही धरती योग है। अभी कुछ ही दिनों पहले हमने आक्सीजन के लिये चारों तरफ हाहाकार मचा देखा इसलिये अब आक्सीजन देने वाले, जीवन देने वाले, पेड़ लगाने पर जोर देना होगा। पीपल, बरगद, नीम, तुलसी, गिलोय, जामुन, पाकड़ आदि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ ताकि प्राणों को बचाया जा सके। एक बात हमेशा याद रखें ‘धरती बचेगी तो हम बचेंगे’, धरती बचेगी तो सन्तति बचेगी और संस्कृति बचेगी।
स्वामी जी ने कहा कि आजकल सब कोविड के कारण ज्यादा से ज्यादा आनलाइन वर्क कर रहे हैं ऐसे में सभी अपने डेक्सटाॅप और लैपटाॅप पर ही व्यस्त रहते हैं परन्तु एक बात ध्यान रखें अपने डेक्सटाॅप और लैपटाॅप से भी अधिक हमें हमारे हेड टाॅप पर भी ध्यान देना चाहिये। जब हम हेडटाॅप पर ध्यान देंगे तभी हम व्यस्त रहते हुये भी स्वस्थ और तनावमुक्त रह सकेंगे तथा पोजीटिव और ज्यादा प्रोड्क्टिव बन सकेंगे। जब हम अपने हेडटाॅप पर ध्यान देंगे तो पक्का माने सारे विचार भी टाॅप के आयेंगे क्योंकि जैसे विचार, वैसा संसार! इसलिये रोज तीन काम करें ‘मेडिटेशन, नो रिऐक्शन और इन्ट्रोस्पेक्शन।

स्वामी जी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि याद रखें ’’जीवन बड़ा बने ये जरूरी नहीं पर जीवन बढ़िया बने इसका विशेष ध्यान रखें।