Yoga for Kanwariyas

Augmenting the comprehensive care that the Kanwariyas of the Kanwad Yatra received today at our Medical Camp was a very special Iyengar asana session offered by American Marla Apt, a longtime friend of Parmarth and a devotee of Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswatiji who has been visiting Rishikesh.

Marla shared: “Yoga is not just physical activity but it is an efficient combination of mental, physical and spiritual activities. Yoga gives us a realization of the Self as well as connecting us with the Supreme Soul. Yoga is a great way to connect body, mind and soul. Yoga is not only for making the body flexible but it provides deep relaxation.”

To get rid of the fatigue caused by long walks, the Kanwariyas practiced various forms of yoga today, including relaxation poses such as Parvatasana, Vajrasana, Bhadrasana, Supta Vajrasana, Trikonasana and Sukhasana so that the muscles of the legs are strengthened, fatigue is reduced, the body gets rest, digestion power is fast and the body remains energetic.

परमार्थ निकेतन शिविर में कांविडयों को कराया योग
कांवडियों को पर्यावरण योग का दिया संदेश
हर घट, घाट और घर में योग
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
योगाचार्य मारला को गंगा अवार्ड से किया सम्मानित

ऋषिकेश, 21 जुलाई। परमार्थ निकेतन आश्रम द्वारा नीलकंठ मार्ग पर लगाये गये शिविर में आज कांवडियों को योग का अभ्यास कराया गया। सुश्री गंगा नन्दिनी जी और पश्चिम की धरती से आयी योगाचार्य मारला जो कि एक वरिष्ठ आयंगर योग शिक्षक हैं, जिन्हें बीकेएस अयंगर और अयंगर परिवार के साथ योग सिखाने और अध्ययन करने का 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है। योग जर्नल ने उन्हें ‘योग के भविष्य को आकार देने’ में मदद करने वाले 21 शिक्षकों में उनका नाम भी शामिल किया है। उन्होंने कांवडियों को योग की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया।

कांवडियों को लम्बी पैदल यात्रा के बाद होने वाली थकान से निजात दिलाने के लिये आज योग की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया। योगाचार्य ने शरीर को विश्राम देने वाले आसन यथा पर्वतासन, वज्रासन, भद्रासन, सुप्त वज्रासन, त्रिकोण आसन और सुखासन का अभ्यास कराया ताकि पैरों की मसल्स सशक्त हो, थकान कम हो, शरीर को आराम मिले, पाचन शक्ति तेज हो और शरीर ऊर्जावान बना रहे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि योग तन को स्वस्थ करता है, मन को विकारों से मुक्त करता है और जीवन को मस्त करता है। व्यस्त रहते हुये स्वस्थ रहना है तो योग करें, रोज करें और मौज करें।

योगाचार्य मारला ने कहा कि योग सिर्फ शारीरिक क्रिया नहीं है बल्कि वह मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक क्रियाओं का कुशल संयोजन करता है। योग हमें स्वंय की अनुभूति कराने के साथ ही परमात्मा से साक्षात्कार कराता है। योग शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने का उत्तम माध्यम है। उन्होंने कहा कि योग केवल शरीर को लचीला बनाने के लिये नहीं है बल्कि यह गहरी विश्रांति प्रदान करता है।

सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने कहा कि योग केवल योग शिक्षकों के लिये बल्कि सभी के लिये हैं। योग एक स्वस्थ जीवन पद्धति है। हमारे ऋषि की सैकड़ों वर्षो की दुलर्भ खोज है, जिससे न केवल हम स्वस्थ रह सकते है बल्कि अपने पर्यावरण को भी स्वच्छ और निर्मल बना सकते हंै। योग को हम अपनी दिनचर्या में सम्मलित करें तो निश्चित रूप से हमारे जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन होंगे।

हरियाणा से आयी छोटी बच्ची निकिता ने योग के विभिन्न आसनों का प्रदर्शन किया तथा उसने परमार्थ निकेतन आकर योग और ध्यान की विभिन्न विधाओं को सीखने की ईच्छा व्यक्त करते हुये कहा कि वह एक कुशल योग शिक्षक बनना चाहती है। निकिता ने कहा कि वह स्वस्थ रहने और जीवन में सभी कार्यो को व्यवस्थित रूप से करने हेतु योग का अभ्यास प्रतिदिन करती है।

सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी ने योगाचार्य मारला को उनके योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु योग अवार्ड से सम्मालित किया। मारला विगत एक माह से परमार्थ निकेतन के आध्यात्मिक वातावरण में रहकर वरिष्ठ योगचार्यो से योग का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर रही हैं।