World River Day

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज विश्व नदी दिवस के अवसर पर नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत नदियों का देश है। नदियों के तटों पर ही अनेक सभ्यताओं का उद्भव हुआ है। भारत में बड़ी-छोटी लगभग 200 से अधिक प्रमुख नदियाँ हैं, जिसमें से कुछ नदियों का आध्यात्मिक महत्व भी है। नदियाँ, सदियों से भारत की भारतीयता, गौरव, संस्कृति, अध्यात्म और विकास की यात्रा का गुणगाण करती आ रही है। नदियों ने भारत की संस्कृति को अपने जल में सहेजकर गौरव व विकास की एक नई इबारत लिखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है परन्तु वर्तमान समय में घटता व प्रदूषित होता जल सबसे बड़ी वैश्विक समस्या है। नदियाँ महज नदियाँ नहीं हैं बल्कि ये देश की संस्कृति व समृृद्धि का प्रतीक एवं पर्याय हैं। एक बड़ी आबादी के लिये नदियां जीवनदायिनी और जीविकादायिनी हैं और यह हमारी आस्था का भी केन्द्र हंै इसलिये नदियों के अविरल प्रवाह के साथ उनके पारिस्थितिकी तंत्र को सहेजना बहुत ही जरूरी है।

नदियां धरती की रूधिर वाहिकायें हैं। धरती के सौन्दर्य की कल्पना नदियों के बिना नहीं की जा सकती इसलिये हमें जल की हर बूंद के महत्व को जानना और स्वीकार करना आवश्यक है क्योंकि जल की हर बंूद में जीवन है, अतः उनका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। जल को बनाया तो नहीं जा सकता परन्तु संरक्षित जरूर किया जा सकता है। जल का मुद्दा किसी संगठन, राज्य और राष्ट्र का नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का है, इसलिये यह अन्तर नहीं किया जाना चाहिये कि कौन-सा पानी किसका है?

जल को सीमाओं में बांधकर नहीं रखा जा सकता ना ही मालिकाना अधिकार स्थापित किया जा सकता है बल्कि रख-रखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी के साथ नदियों का संरक्षण किया जाना अति आवश्यक है। जल का विषय केवल अपने-अपने हितों तक सीमित नहीं है। वर्तमान समय में नदियों में पानी की लगातार कमी होती जा रही है। कई सदानीरा नदियां मानसून तक ही सिमट कर रह गयी हैं।

जागरूकता के अभाव और स्वार्थपूर्ण हितों के कारण जल स्रोत प्रदूषित होते जा रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण हो रहा है कि कोई एक एजेंसी इसे रोक नहीं सकती इसलिये जनता को ही सबसे पहले आगे आना होगा और जल क्रान्ति को जन क्रान्ति, जल आन्दोलन को जन आन्दोलन और जल चेतना को जन चेतना बनाना होगा ।

इस वर्ष विश्व नदी दिवस का विषय ‘नदियों का अधिकार‘ है। यह थीम नदियों को दुनिया के खजाने के रूप में नामित करती है क्योंकि वे जीवन के लिए पानी उपलब्ध कराती हैं। नदियाँ न केवल मानव जाति, पशु जीवन और वनस्पतियों और जीवों के लिए पानी का एक बड़ा स्रोत हैं, बल्कि परिवहन का एक आदर्श साधन भी हैं । आइये आज नदियों के संरक्षण का संकल्प लें।