Project Blue Online Summit

The Blue Economy – what the World Bank defines as the “sustainable use of ocean resources for economic growth, improved livelihoods, and jobs while preserving the health of ocean ecosystem” – contributes 4.1% to the Indian economy, and is an important source for renewable energy. So maintaining and preserving this system is of vital importance to us, and to future generations. The Vivekananda Youth Connect Foundation recognizes the importance of this economy, and is doing its part to ensure that others recognize it, too, through an impressive initiative dubbed “Project Blue,” an outreach to youth to convince them to work towards the conservation, preservation and protection of this vital resource.

In an online summit launched from Raj Bhavan Mumbai, in which the Hon’ble Governor of Maharashtra, Bhagat Singh Koshyari ji, launched an informative documentary produced by the Foundation, HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, President of Parmarth Niketan, lauded the film and the project, saying “This is an excellent initiative of Vivekananda Youth Connect Foundation. Our seas are a storehouse of immense wealth, whose importance is not from today but from ancient times.

“At present our oceans – whether in Mumbai, Goa or Orissa – are all being filled with plastic. If this continues, the plastic will go into the diet of aquatic organisms and water pollution will also increase. So there will be a lack of oxygen in the oceans, and the life and very existence of many organisms may be in danger. We have to stop this.

“To save the invaluable wealth of Blue Life, single use plastic has to be removed from our lives. Not only for the Blue Economy, but also for the conservation of marine biodiversity. Our policies and planning should be for the economic development and welfare of the country, but not by putting aquatic life at stake. Our seas are our future. Once dolphins used to float in it, now plastic waste and pieces of plastic are floating in it. According to statistics, billions of tons of plastic waste end up in the ocean every year. Let’s take a pledge together to stop using single-use plastic.”

Joining Pujya Swamiji and Shri Koshyariji for the event were Dr Rajesh Sarvagya and Tanmay Chakraborty, founders of Vivekananda Youth Connect Foundation, Shri Devendra Fernandez, Bhajan Samrat Anup Jalota ji, Acharya Dr. Lokesh Muni ji, Swami Vidyanathanand ji of Ramakrishna Math and Ramakrishna Mission, Belur Math, Transport Minister Shri Anil Parab ji and other distinguished guests.

लाइव फोरम राजभवन मुंबई
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मुख्य वक्ता के रूप में किया सहभाग
राज्यपाल महाराष्ट्र, माननीय भगत सिंह कोश्यारी जी, ने किया ‘प्रोजेक्ट ब्लू मुम्बई शार्ट फिल्म का उद्घाटन
‘क्लीन, सेफ, ब्यूटीफुल मुंबई सी’
विवेकानंद यूथ कनेक्ट फाउंडेशन की उत्कृष्ट पहल
ब्लू लाइफ ग्रोथ इनिशिएटिव और ग्रीन लाइफ ग्रोथ इनिशिएटिव
हो लक्ष्य – स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 31 मई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, को राजभवन मुंबई में आयोजित ‘प्रोजेक्ट ब्लू-क्लीन, सेफ ब्यूटीफुल मुंबई सी’ लाइव फोरम के प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित किया। यह विवेकानंद यूथ कनेक्ट फाउंडेशन की उत्कृष्ट पहल है। आज की लाइव फोरम में राज्यपाल महाराष्ट्र, माननीय भगत सिंह कोश्यारी जी, पूर्व मुख्यमंत्री महाराष्ट्र, श्री देवेन्द्र फर्नांडीज़, भजन सम्राट अनुप जलोटा जी, आचार्य लोकेश मुनि जी, स्वामी विद्यानाथनन्द जी, श्री रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ, परिवहन मंत्री श्री अनिल परब जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर अपने विचार व्यक्त किये।

राज्यपाल महाराष्ट्र, माननीय भगत सिंह कोश्यारी जी, ने प्रोजेक्ट ब्लू मुम्बई शार्ट फिल्म लांच की। विवेकानंद यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के संस्थापक डॉ राजेश सर्वज्ञ और तन्मय चक्रवर्ती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत और अभिनन्दन किया।

स्वामी जी ने पुण्यश्लोक अहिल्लाबाई होल्कर जी की जन्म जयंती पर उनकी निष्ठा को नमन करते हुये भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि ऐसी महान नारी जिन्होंने इतिहास रचा उन्हें परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से नमन।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे समुद्र, हमारी ब्लू इकॉनमी, हमारे राष्ट्र की नीली अर्थव्यवस्था है तथा अक्षय ऊर्जा का स्रोत भी है। ब्लू इकॉनमी भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 4.1 प्रतिशत योगदान देती है। हमारे समुद्र अकूत संपदा के भंडार हैं जिनका महत्व आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही है। समुद्र मंथन के समय समुद्र से कामधेनु गौ, उच्चैश्रवा नामक सफेद घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभमणि नामक हीरा, कल्पवृक्ष़, देवी लक्ष्मी, देवों के चिकित्सक धनवंतरि, अमृत कलश और भी बहुत कुछ निकला था। आज भी बहुत कुछ है समुद्र के गर्भ में और सबसे अधिक महत्वपूर्ण तो समुद्री जीवन हैं।

स्वामी जी कहा कि पृथ्वी पर आक्सीजन अपार मात्रा में है परन्तु अभी कोरोना काल में चारों ओर आक्सीजन के लिये हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना वायरस से पीड़ित होने के कारण स्वस्थ दिखने वाले लोगों के फेफड़े भी ठीक तरह से काम नहीं कर रहे थे। हम मनुष्यों के पास सुविधायें है, हास्पिटल है, लाइफसेविंग सिस्टम है इसलिये हम स्थितियों पर कंट्रोल कर पाये हैं परन्तु ऐसी स्थिति समुद्र में हो तब क्या होगा? समुद्र में घटता आॅक्सीजन का स्तर चिंता और चिंतन दोनों का विषय है। जलीय जीवन और वन्य जीवन दोनों की बात करें तो वहां कोई ऐसी सुविधायें नही है बस शुद्ध प्राकृतिक जीवन है उनका।

वर्तमान मेें हमारे सागर, हमारे समुद्र चाहे वह मुम्बई का हो, गोवा का हो या उडी़सा का हो सब प्लास्टिक से भर रहे हैं। इनमें इसी तरह से प्लास्टिक जाता रहा तो वह जलीय जीवों के आहार में जायेगा और जल प्रदूषण भी बढ़ेगा जिसके परिणाम स्वरूप महासागरों में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, कई जीवों के जीवन और आस्तित्व का खतरा हो सकता हैैै इसलिये हमें समुद्रों में हो रही ऑक्सीजन की कमी को लेकर बेहद संवेदनशील रहना होगा। समुद्र में शार्क जैसे बड़े शरीर वाले जीवों को अधिक उर्जा की जरूरत होती है।

ऑक्सीजन की कमी के कारण उनका जीवन संकट में आ सकता हैं। इसलिये अब हम सभी को मिलकर ब्लू लाइफ ग्रोथ इनिशिएटिव और ग्रीन लाइफ ग्रोथ इनिशिएटिव पर विशेष ध्यान देना होगा। जलीय जीवन बचाने के लिये अपनी जीवनचर्या और दिनचर्या से प्लास्टिक को पूर्ण रूप से हटाना ही एक समाधान है।

स्वामी जी ने कहा कि ब्लू लाइफ रूपी अमूल्य संपदा को बचाने के लिये हमारे जीवन से सिंगल यूज प्लास्टिक को निकालना होगा क्योंकि मामला केवल भारत की जीडीपी में ब्लू इकॉनमी के योगदान का ही नहीं है बल्कि समुद्री जैव विविधता के संरक्षण का भी है। ब्लू इकॉनमी से संबंधित हमारी नीति और हमारे मसौदे देश के आर्थिक विकास और कल्याण हेतु तो हो परन्तु जलीय जीवन दांव पर लगाकर नहीं। हमारे समुद्र हमारा भविष्य हैं। कभी उसमें डालफिन तैरती थी और अब प्लास्टिक कचरे और प्लास्टिक के टुकड़े तैर रहे हैं। आकंडों के अनुसार अरबों टन प्लास्टिक का कचरा हर साल महासागर में समा जाता है आईये मिलकर संकल्प करें, एक इनिशिएटिव लें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करें।