Minister of Child Development and Nutrition meets Pujya Swamiji at Parmarth

As Uttarakhand’s beautiful Himalaya Diwas celebrations approach on 9 September, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and Minister of Child Development and Nutrition for Uttar Pradesh, the Hon’ble Smt. Baby Rani Maurya ji met to discuss the planned activities for the event, as well as the development of a programme to introduce Himalayan grains, fruits and vegetables into people’s diets as a way of improving their health.

“Quality of life,” sated Pujya Swamiji, “can be improved through a nutritious diet. Our diet should be such that it provides us with adequate nutrition, and it is absolutely necessary to plant fruit plants in schools; to build nutritional gardens featuring those plants; to encourage the use of Himalayan and hilly whole grains; and, to introduce yoga and a natural lifestyle to everyone, especially children. The inclusion of grains and other Himalayan specialties into people’s diets will not only improve their health, but it will also benefit the farmers so that the problem of migration can also be solved.”

Smt. Baby Rani Maurya ji said that a plan would definitely be made on the suggestions given by Swamiji regarding the alternatives of whole grains for child nutrition, and whole-heartedly accepted His invitation to be a part of the programme on Himalaya Day. “I got the opportunity to serve the Himalayas and the people of Himalayas,” the Minister shared, “it is a matter of pride for me. And, the visit to Parmarth Niketan, its spirituality and Ganga Aarti and the presence of Pujya Swamiji will be a most-welcome occasion!”

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और बाल विकास और पोषण मंत्री, उत्तरप्रदेश, माननीय श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी की हुई भेंटवार्ता
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2022

श्रीमती मौर्य जी को हिमालय दिवस शिखर सम्मेलन में सहभाग हेतु किया आमंत्रित
पहाड़ी परम्परागत अनाज पोषण और स्वाद का आदर्श विकल्प
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 2 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और बाल विकास और पोषण मंत्री, उत्तरप्रदेश माननीय श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी की भेंटवार्ता हुई। स्वामी जी ने श्रीमती मौर्य जी को 9 सिंतबर ‘‘हिमालय दिवस’’ के अवसर पर परमार्थ निकेेतन में आयोजित शिखर सम्मेलन में सहभाग हेतु विशेष रूप से आमंत्रित करते हुये कहा कि उत्तराखंड हिमालय से मौर्य जी का अटूट संबंध हैं तथा हिमालय और माँ गंगा के प्रति आपका समर्पण भी अद्भुत है इसलिये हिमालय दिवस पर हिमालय के निवासियों को संबोधित करने से उन्हें प्रेरणादायक संदेश प्राप्त होगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पोषण सप्ताह के अवसर पर माननीय मंत्री श्रीमती बेबी रानी जी ने चर्चा करते हुये कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों को पर्याप्त पोषण की नितांत आवश्यकता होती हैं। पारम्परिक भारतीय व्यंजनों में स्वाद के साथ पोषण भी समाहित है परन्तु जरूरत है उसकी शुद्धता को बनाये रखने की। शरीर को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाये रखने के लिये स्वच्छ और पोषणयुक्त आहार मुख्य आधार है। पोषण युक्त आहार के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। हमारा आहार ऐसा हो जो हमें पर्याप्त पोषण प्रदान करता हो यह बहुत जरूरी है।

स्वामी जी ने कहा कि आहार के प्रति बच्चों को जगरूक करने के लिये विद्यालयों में फलदार पौधों का रोपण, पोषण वाटिकाओं का निर्माण करना, हिमालयी व पहाड़ी साबूत अनाज के लिये प्रोत्साहित करना तथा योग और प्राकृतिक जीवन शैली के विषय में जागरूक करना नितांत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि पहाड़ों में होने वाले पोषक अनाज बाजरा, ज्वार, रागी, झिंगोरा आदि अनाज में खनिजों और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन तथा एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं, जो बच्चों के पोषण में सुधार के लिये एक आदर्श विकल्प बन सकते हैं। इन अनाजों को खाद्य सुरक्षा प्रणाली में शामिल करने से किसानों का भी कल्याण होगा तथा पलायन की समस्या का भी समाधान हो सकता हैं।

श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी ने कहा कि बाल पोषण के लिये साबूत अनाज के विकल्पों के विषय में स्वामी जी द्वारा दिये सुझावों पर निश्चित रूप से योजना बनायी जायेगी। उन्होंने हिमालय दिवस के आमंत्रण को स्वीकार करते हुये कहा कि उत्तराखंड की राज्यपाल के रूप में मुझे हिमालय और हिमालय वासियों की सेवा का अवसर प्राप्त हुआ, यह मेरे लिये गर्व का विषय है। परमार्थ निकेतन की यात्रा, आध्यात्मिकता, गंगा आरती और पूज्य स्वामी जी का सान्निध्य मुझे आज भी रोमांचित करता हैं।

स्वामी जी ने श्रीमती मौर्य जी को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष पौधा और मिट्टी के श्री गणेश जी की प्रतिमा भेंट की।