Inauguration of Walking Tour from Parmarth Niketan to Devprayag

आज प्रातःकाल अमृतबेला में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष कुमार चौहान जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी, पत्रकार और स्तंभकार श्री बलबीर पुंज जी और अन्य अधिकारियों ने विश्व शान्ति यज्ञ कर परमार्थ निकेतन से देवप्रयाग पैदल यात्रा का शुभारम्भ किया। स्वामी जी और जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष कुमार चौहान जी ने यात्रा को हरी झंड़ी दिखाकर विदा किया। सायंकाल देवप्रयाग में संगमतट पर गंगा आरती के साथ समापन हुआ।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज प्रातःकाल की अमृत बेला में एक ऐसे अभियान की शुरूआत हुई जो राष्ट्र का अभियान है क्योंकि प्रारम्भ से ही हमारी संस्कृति और हमारे शास्त्रों में तीर्थों का बड़ा ही महत्व है। भारत की आत्मा तीर्थों में ही बसती है इसलिये जगद्गुरू शंकराचार्य जी महाराज ने जब राष्ट्रोत्थान की सांस्कृतिक यात्रा ‘एकात्म यात्रा’ की शुरूआत की उसका तात्पर्य यही था कि लोग अपने तीर्थों को पहचाने और अपने जीवन को तीर्थ बनाये।

श्रद्धालु जब यात्राओं पर निकलते थे तो पैदल-पैदल निकलते थे, इस प्रकार व्यक्ति स्वयं को भी देखता था और जहां जाता था वहां पर लोगों के भी मिलता था और लोगों से जुडता चला जाता था। यह यात्रा जुड़ने से जोड़ने की यात्रा है; यह यात्रा खुद से जुड़ने की यात्रा है, यह यात्रा स्वयं से सर्व को जोड़ने की यात्रा है। यह यात्रा जब जगद्गुरू शंकराचार्य जी ने की तो उनका यह लक्ष्य था कि भारत के अन्दर उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम पूरे भारत के लोग एक-दूसरे से जुड़ कर रह सके। उन्होंने केसर कश्मीर का और पहुंचा दिया रामेश्वरम् में, नारियल केरल का और पहुुंचाया केदारनाथ व वैष्णवदेवी मंे यह अद्भुत यात्रा है जिसने आर्थिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से पूरे भारत को जोड़ दिया।

स्वामी जी ने कहा कि भारत के तपस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब अपना जीवन प्रारम्भ किया तो यात्रा से ही किया। जब जीवन में तितिक्षा और तपस्या हो तो जीवन महान बनाता है और यह यात्राओं से ही आता है। यह यात्रा स्व से सर्वस्व की यात्रा है, स्वयं से वयं की यात्रा है। इस यात्राओं से जीवन में रोजगार और व्यापार, प्यार और संस्कार बढ़ेगा।

जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डॉ. आशीष कुमार चौहान जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ निकेतन जैसे दिव्य और पवित्र क्षेत्र से पैदल यात्रा की शुरूआत की है। तीर्थ स्थलों की पैदल यात्रा हमारी प्राचीन परम्परा का अंग है। हम उन्हीं दिव्य परम्पराओं को पुनः जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं। प्राचीन समय में हमारी यात्रायें एक जीवन पद्धति हुआ करती थी। हमारे पूर्वज तीर्थों की पैदल यात्रा करते थे और सारे कष्टों को झेलने के पश्चात तीर्थ स्थानों पर पंहुचते थे।

उन्होंने कहा कि पैदल यात्राओं से हम अपनी प्रकृति से, पर्यावरण से, हिमालय और माँ गंगा से जुड़ते थे, हम इस पैदल यात्रा के माध्यम से यही प्रयास कर रहे हंै कि आज की पीढी भी पैदल यात्रा के महत्व को समझे और अपनी प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ें। हम बहुत सौभाग्यशाली है कि हम पूज्य स्वामी जी महाराज के आशीर्वाद से इस पवित्र क्षेत्र से इस यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं।

उन्होंने पैदल यात्रा में सहभाग करने वाले सभी प्रतिभागियों से निवेदन किया कि इस यात्रा की दिव्यता, आध्यात्मिकता और कोर संदेश को समझे और पर्यटन के स्थान पर तीर्थाटन के महत्व को समझे और अनुभव करें। साथ ही हिमालय की दिव्यता और गंगा जी की पवित्रता को जाने और जियें।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हमारा जीवन भी एक यात्रा है। जैसे रास्ते पर चलते हुये उतरते, चढ़ते, उतार-चढ़ाव आते हैं वैसे इस यात्रा में यही सीखना होता है कि यात्रा में उतार-चढ़ाव तो आते हैं परन्तु आपका स्वयं का जीवन उपर-नीचे न हो। चीजें उपर-नीचे हो पर जीवन उपर-नीचे न हो जाये यही हम यात्रा के पड़ावों से सीखते हैं। साध्वी जी ने कहा कि यात्रा के दौरान चैंटिंग (मंत्रजप) करे चेटिंग (बातचीत) न करें। हमारी चार धाम यात्रा आस्था के साथ व्यवस्था का भी अद्भुत संगम है।

प्रसिद्ध पत्रकार श्री बलबीर पुंज जी ने कहा कि स्वामी जी कर्म और संन्यास का अद्भुत संगम है। सामान्यतः कहा जाता है कि संन्यासी का कोई कर्म नहीं होता, परन्तु कर्म नहीं होगा तो जीवन नहीं होगा। परमार्थ निकेतन से लोग प्रेरणा और संस्कार लेकर जाते हैं। यूनाइटेड नेशन ने वसुधैव कुटुम्बकम् और अन्य मंत्रों के पर अभी ध्यान देना शुरू किया परन्तु हमारे वेदों मे ंतो सदियों पहले इसका उल्लेख किया गया है। उन्होंने स्वामी जी से कहा कि आप अपने श्रीमुख से इन दिव्य मंत्रों का अर्थ कभी-कभी बताये तो बड़ी कृपा होगी।

स्वामी जी ने पैदल यात्राओं के माध्यम से पौधों के रोपण का संकल्प कराया। विश्व शान्ति यज्ञ में पूर्णाहुति समर्पित कर परमाार्थ निकेतन से देवप्रयाग तक की पैदल यात्रा की शुरूआत की। इस पवित्र संकल्प और पैदल यात्रा की परिकल्पना को साकार के लिये उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी, जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल, डॉ. आशीष कुमार चौहान जी, एसडीएम मुक्ता, डीएफओ और अन्य सभी अधिकारियों को शुभकामनायें दी। इस पैदल यात्रा के साथ अनेकों लोग जुड़ गये और एक काफिला बना गया, इसमें लोगों का उत्साह देखने जैसा था।