Establishment of Rudraksha Forest in the Land of Lord Rudra

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डा आशीष कुमार चौहान के सान्निध्य में कोठार गांव में रूद्राक्ष वन की स्थापना का शुभारम्भ किया। इस पहल के अन्तर्गत भगवान रूद्र की धरती पर आगामी मानसून के मौसम में 1000 रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया जायेगा।

नीलकंठ महादेव मंदिर के पास स्थित कोठार गाँव में एक विशेष पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया ताकि कांवड़ मेले में आने वाले कांवड़ियों को भी पौधारोपण और राजाजी राष्ट्रीय उद्यान में रहने वाले वन्यजीवों और हाथियों के लिए छोटे वाटरशेड अमृत सरोवर के निर्माण हेतु सेवा करने के लिए प्रेरित किया जा सके। साथ ही कोठार गांव को एक सुंदर व प्रकृति के समृद्ध माॅडल गांव के रूप में विकसित करने के लिये रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया जा रहा है। यह आस्था, आध्यात्मिकता, साधना के साथ जीविका के लिये भी जरूरी है।

कांवड यात्रा में आने वाले श्रद्धालु यहां पर बैठकर प्रकृति का आनन्द ले पायेंगे। साथ ही कुछ वर्षों के बाद प्रसाद स्वरूप रूद्राक्ष भी इन पौधों से प्राप्त हो सकेंगे। रूद्राक्ष वन की स्थापना से कोठार गांव सहित आस-पास के ग्रामिणों के लिये भी अजीविका का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे पर्यटन व तीर्थाटन के साथ रोजगार, व्यापार व संस्कारों में भी वृद्धि होगी। इस प्रकार यह छोटा सा प्यारा सा कोठार गांव एक माॅडल गांव बनकर उभरेगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग तन और मन को स्वस्थ रखता है और वृक्ष तो तन, मन, प्रकृति, पर्यावरण और संतति को स्वस्थ व स्वच्छ करते हैं और रुद्राक्ष तो अपने आप में दिव्य है। रूद्राक्ष को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। कहा जाता है कि सम्पूर्ण मानवता के कल्याण के लिये भगवान शिव द्वारा युगों-युगों तक की ध्यान साधना का परिणाम है रूद्राक्ष।

रुद्राक्ष, प्रभु का प्रसाद स्वरूप मानवता के लिये अमूल्य वरदान है। रूद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है। वर्तमान समय में रूद्राक्ष पर अनेक अनुसंधान किये जा रहे हैं। अनुसंधानों से पता चलता है कि रुद्राक्ष में एक विशेष स्पदंन होता है। जो शरीर की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है और रूद्राक्ष धारण करने वाला नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहता है इसलिये रूद्राक्ष का आध्यात्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। हिमालय तो भगवान शिव की धरती है यहां से प्राप्त किया गया रूद्राक्ष वास्तव में प्रभु का प्रसाद स्वरूप ही है।

इस अवसर पर ब्लाक विकास अधिकारी दृष्टि आनन्द, सोशल बिहेवियर चेंज स्पेशलिस्ट यूनिसेफ इंडिया सुश्री शालिनी प्रसाद जी, ग्राम प्रधान, ग्रामवासी, परमार्थ निकेतन से आचार्य संदीप शास्त्री, आचार्य दीपक शर्मा, रोहन मैकलेरन, सोहिनी, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, परमार्थ परिवार के सदस्य और अमेरीका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी से आये पर्यटकों ने सहभाग किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में ग्रामवासियों ने संकल्प किया कि हम भगवान शिव जी के प्रति जैसी आस्था है उसी आस्था के साथ हम रूद्राक्ष के पौधों का संरक्षण करेंगे।