स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, गुरू माँ आनन्दमूर्ति जी और डा साध्वी भगवती सरस्वती जी की दिव्य भेंट

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, गुरू माँ आनन्दमूर्ति जी और डा साध्वी भगवती सरस्वती जी की दिव्य भेंट

क्लाइमेंट चेंज, ग्लोबल वार्मिग, कथाओं और आध्यात्मिक आयोजनों के माध्यम से मिशन लाइफ के 75 सूत्रों के विषय में जागरूक करना और भारत की उपलब्धि जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के विषय में हुई विशेष चर्चा

पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने का दिया संदेश

मिशन लाइफ को व्यक्तिगत से वैश्विक बनाने में धर्मगुरूओं की महत्वपूर्ण भूमिका

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 2 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी और गुरू माँ आनन्दमूर्ति जी की परमार्थ निकेतन में विशेष भेंटवार्ता हुई।

इस अवसर पर क्लाइमेंट चेंज, ग्लोबल वार्मिग तथा ‘़मिशन लाइफ’ जो कि एक व्यवहार परिवर्तन आंदोलन है जो हम सभी को प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की परिकल्पना करता है, ताकि प्रकृति को नुकसान न पहुंचे इसके प्रचार-प्रसार हेतु विशेष चर्चा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर दुनिया की आबादी में लगभग आठ अरब लोग हंै जिसमें से अगर एक अरब जनसंख्या भी अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण और प्रकृति के अनुकूल व्यवहार अपनायें तो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में लगभग 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। भारत में पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली और व्यवहारों को अपनाकर स्थायी और समावेशी विकास के नये माॅडल स्थापित किये जा सकते है।

स्वामी जी ने कहा कि हमें कथाओं और आध्यात्मिक आयोजनों के अवसर पर यूज एवं थ्रो के स्थान पर यूज एंड ग्रो के सूत्र को प्राथमिकता देनी होगी। साथ ही रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकल के लिये जनसमुदाय को प्रेरित करना होगा और इस हेतु आध्यात्मिक संगठन और धर्मगुरू महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान और अंतर्निहित जलवायु-अनुकूल व्यवहार को अपनाने के लिये मिशन लाइफ जन आन्दोलन की शुरूआत की जिसकी सफलता व्यक्ति, परिवार और समाज के संगठित प्रयास के बिना नहीं हो सकती।

अब समय आ गया है कि हम सभी ग्रह-समर्थकों के रूप में एकजुट होकर ‘अपने ग्रह के अनुरूप जीवनशैली’ अपनाने के लिये एकजुट होकर आगे बढ़े।

स्वामी जी ने गुरू माँ आनन्दमूर्ति जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।