Senior Campaigner of Rashtriya Swayam Sevak Sangh Visits Parmarth

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डा कृष्णगोपाल जी पधारे परमार्थ निकेतन। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डाॅ कृष्णगोपाल जी ने उत्तराखंड के विकास, शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, सड़क, बिजली और पानी की उचित सुविधाओं पर विशेष चर्चा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को स्वयं ईश्वर ने जल, वायु और पवित्र नदी गंगा, पहाड़ों और जंगलों से समृद्ध बनाया है इसकी समृद्धि, सुन्दरता और शान्ति को बनायें रखने हेतु सब का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उत्तराखंड अपार शान्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला प्रदेश है सभी प्रदेशवासी मिलकर उत्तराखंड राज्य को आॅक्सीजन बैंक, वाॅटर बैंक और आयुर्वेद व जड़ी-बूटी बैंक के रूप में विकसित कर विश्व को एक सौगात दे सकते हंै। अपार प्राकृतिक संपदाओं से युक्त यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है यह पूरी दुनिया को इनरपावर प्रदान कर सकता है समस्यायें चाहे तन की हो या मन की सब का समाधान उत्तराखंड है परन्तु पहाड़ी राज्य होने के साथ ही उत्तराखंड की समस्यायें भी पहाड़ जैसी है इस के समाधान के लिये सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है।

स्वामी जी ने कहा कि हमारे देश का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में श्रद्धेय गुरूजी से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक, ऋषि माननीय मोहन भागवत जी तक और स्वयं सेवक संघ परिवार के सभी सदस्य में सेवा, सयंम और समर्पण का अद्भुत संगम है। संघ परिवार को सेवा में ही आनंद. उमंग, उत्साह, उल्लास मिलता है। वे जज्बा, जुनून, और जोश से राष्ट्र और समाज की सेवा के लिये सदैव तत्पर रहते हैं।

गुरु जी का तो मंत्र ही है इदम् राष्ट्राय,,, कोरोना हो या सुनामी या कोई भी आपदा हर पल संघ का हर स्वंयसेवक, समर्पण भाव से सेवा हेतु तत्पर रहता है।

स्वामी जी ने कहा कि हमें समाज में ऐसे पुलों का निर्माण करना होगा जो दिलों से दिलों को जोड़े ऊँच-नीच की दरारों को भरें और जाति-पाति की दीवारों को तोड़े

जो दूसरों के दर्द को समझे क्योंकि यही तो वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है, सर्वे भवन्तु सुखिनः के सूत्र हमें शिक्षा देते हैं।

स्वामी जी सभी को राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र प्रेम का संदेश देते हुये कहा कि हमारे देश की एकता व अखंडता को अक्षुण्ण रखना हम सभी का परम कर्तव्य है। अखंडता से तात्पर्य सीमाओं की अखंडता ही नहीं बल्कि आपसी पे्रम और सौहार्द्रता से भी है आईये इसका विस्तार मिलकर करें।