Role of the Media During Coronavirus

In the Covid era, the role of the media – television, print and online social platforms – has taken on an even greater role in communicating the status and the needs of those affected by this global pandemic. And, according to HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji – the President and Spiritual Leader of Parmarth Niketan – “The media can become the best friend of the people in this time of crisis. The public needs to know how many beds are available in which hospital…where oxygen concentrators are available…what other life-saving medicines and ambulances are nearby. The advice of medical experts – doctors, psychiatrists, dieticians, yoga experts – should be circulated so that people know how to recover afterwards. ”

What they don’t need, Pujya Swamiji cautions, is “fake news, inflammatory speech, negative thinking and fear. These things can fill people’s minds with negativity, which only leads to depression. The news circulated on media platforms affects the physical and mental health of the population, so in the era of this epidemic, more and more such news should be circulated to create an atmosphere of positivity. Admittedly, the darkness is dense, but where is it forbidden to light a lamp? Come, light the lamp of positive dialogue and spread the light of courage. This is the Media Social Responsibility needed today! ”

“This phase of the pandemic will end,” Pujya Swamiji concludes, “and, the sun of hope will rise. Let us work together, raise our hands to help. If even one life is saved from our efforts, one family will be saved from being shattered. Life is so much more than just a statistic, and one person can be another’s whole world.”

केवल मीडिया ही कर सकता है
बेहतर संवाद ही जीवन और प्रेम का मूलमंत्र
जिन्दगी महज़ एक आंकडा नहीं किसी की पूरी दुनिया-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 11 मई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत की मीडिया का आह्वान करते हुये कहा कि मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस समय लोगों को स्वस्थ रहने के लिये तथा अपनी इम्यूनिटी को बनाये रखने के लिये सकारात्मकता की नितांत आवश्यकता है इसलिये फेक न्यूज, भड़काऊ स्पीच, नकारात्मक सोच और डर का माहौल न बनाने दें। ऐसी खबरों से लोगों का मस्तिष्क नकारात्मकता से प्रभावित हो सकता है, जो उन्हें डिप्रेशन की ओर ले जा सकता है।

मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित खबरें जनसमुदाय के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, इसलिये इस महामारी के दौर में अधिक से अधिक ऐसी खबरें प्रसारित हों जिससे समाज में सकारात्मकता का माहौल तैयार हो सके। मीडिया इस संकट के काल में लोगों का सबसे अच्छा मित्र बन सकता है। इस समय जनसमुदाय को यह जानकारी की जरूरत है कि किस हाॅस्पिटल में कितने बेड खाली हैं। ऑक्सीजन सिलेन्डर कहां मिल रहे हैं। ऑक्सीजन कन्सट्रेटर कहां उपलब्ध हैं। साथ ही अन्य जीवन रक्षक दवाईयों और एम्बुलैंस कहां-कहां उपलब्ध हैं। जरूरी सम्पर्क सूत्र, अस्पतालों के नम्बर आदि उपलब्ध करायें तो यह भी एक समाज सेवा होगी।

मीडिया एक और महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है जो मेडिकल एक्सपर्ट हैं, प्रसिद्ध चिकित्सक, मनोचिकित्सक, आहार विशेषज्ञ, योग विशेषज्ञ हैं इनकी सलाह को प्रसारित किया जाये ताकि लोगों को पता चले कि कोविड – 19 के इस दौर में घर पर रहकर कैसे ठीक हो सकते हैं। जो लोग कोरोना से प्रभावित होकर आइसोलेशन के पश्चात ठीक होकर लौटे हैं उनकी दिनचर्या क्या होनी चाहिये और उन्हें कौन सी सावधानियां बरतनी चाहियें।

इस समय अनेक लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनों को खोया है, कई ऐसे हैं जिन्होंने मृत्यु को बहुत पास से देखा है, उनके अन्दर हौसला कैसे बनाये रखें। कई शहरों में लोगों ने वैक्सीनेशन के लिये रजिस्ट्रशन करवा लिया है और वे परेशान हो रहे हैं, उन्हें पता नहीं है कि किस सेन्टर में वैक्सीन उपलब्ध है, ऐसे में उनके पास सटीक जानकारी का माध्यम मीडिया ही है।

स्वामी जी ने कहा कि यह एक ऐसा समय है जिसमें लोग अपना धैर्य और साहस खो रहे हैं, शहर खाली हो रहें हैं और शमशान में भीड़ बढ़ती जा रही है। इस अदृश्य वायरस के कारण लोग एक-दूसरे के पास जाकर उनका दर्द नहीं बांट सकते परन्तु मीडिया की पहुंच प्रत्येक व्यक्ति तक है इसलिये मीडिया मंच से मेरा निवेदन है कि जो अव्यवस्थायें हो रहीं उस ओर ध्यान आकर्षित करायें, जहां कालाबाजारी हो रही है उसको दिखायें परन्तु अभी लोगोेेे को सबसे ज्यादा बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की तलाश है अतः उसकी सटीक जानकारी उन तक पहुंचायें। ये जो दौर है यह शीघ्र ही निकल जायेगा, उम्मीदों का सूरज भी उगेगा, आईये मिलकर आगे बढ़ें, मदद के लिये अपना हाथ बढ़ायें अगर हमारे प्रयासों से एक जिन्दगी भी बच गयी तो किसी का परिवार बिखरने से बच जायेगा क्योंकि जिन्दगी महज़ एक आंकडा नहीं किसी की पूरी दुनिया है। माना कि अंधेरा घना है, पर दीप जलाना भी कहां मना है। आओ सकारात्मक संवाद के दीप जलाये और हिम्मत की रौशनी फैलायें।