Organizer of Bhakti Fest and Shakti Fest Visits Parmarth with Seekers from California

ऋषिकेश, 16 फरवरी। परमार्थ निकेतन आया अमेरिकी साधकों का दल। पश्चिम की धरती पर आयोजित भक्ति व शक्ति फेस्ट के आयोजक श्रीधर के नेत्त्व में दल के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर भारतीय संस्कृति, योग, ध्यान और अन्य आध्यात्मिक विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया।

परमार्थ निकेतन में होने वाली विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों यथा प्रातःकालीन प्रार्थना, हवन, गंगा पूजन, ध्यान, गंगा आरती और सत्संग में सहभाग कर भारतीय जीवनशैली के विषय में जानकारी प्राप्त की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की संस्कृति उस राष्ट्र के अस्तित्व का आधार होती है और भारतीय संस्कृति तो अभिवादन और अभिनन्दन की संस्कृति है।

भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है, भारतीय संस्कृति अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के समान ही विशालतम है। यहाँ के लोग अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग तरह के कपडे़ पहनते हैं, भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं, अलग-अलग भोजन करते हैं किंतु उनका स्वभाव एक जैसा होता है। चाहे अवसर खुशी का हो या गम का लोग पूरे दिल से एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं।

भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की पवित्र भावना में निहत है और जीवन के अस्तित्व से ही यह संस्कृति निरंतर अपने मूल्यों और मूल की तरफ अग्रसर हो रही हैं इसलिये तो भारत की संस्कृति को ‘आत्मिक सौंदर्य’ की संस्कृति कहा जाता है। भारतीय संस्कृति समस्त मानवता का कल्याण चाहती है।

भारतीय संस्कृति की दिव्यता उसकी विशेषताओं में समाहित है। दया, करूणा, प्रेम, शांति, सहिष्णुता, क्षमाशीलता आदि भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टतायें हैं।

वर्तमान समय में सम्पूर्ण विश्व को आवश्यकता है कि अपनी अतीत की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजें और सवारें तथा उसकी मजबूत आधारशिला पर खडे होकर अपने मूल को स्वीकारते हुये नये मूल्यों व नई संस्कृति की ओर बढ़े।

पश्चिम की धरती पर मनोमय रूप भक्ति फेस्ट को आयोजित करने वाले श्रीधर ने कहा कि परमार्थ निकेतन उनके लिये एक दिव्य स्थल और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है। परमार्थ निकेतन की गंगा आरती अत्यंत दिव्य और आनन्ददायक है। इस हरे-भरे व प्लास्टिक फ्री आश्रम में अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संगम है। यह वास्तव में स्वर्गतुल्य है।

स्वामी जी ने कैलिफोर्निया से आये साधकों के दल को जल संरक्षण और पर्यावरण युक्त जीवन शैली अपनाने का संकल्प कराया।