Marma Medical Camp at Shukdevanand Charitable Hospital

Organized under the joint aegis of Parmarth Niketan and Uttarakhand Ayurved University, the Marma Medical Camp held at the Shukdevanand Charitable Hospital benefitted hundreds of patients desiring, as HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji so beautifully described it, “a traditional system of medicine based on thousands of years of knowledge, skill and research of the sages!”

In the inaugural ceremony for the Camp, held during the Sacred Ganga Aarti, Padmashri Kailash Kher joined in Pujya Swamiji’s pledge to engage in water and environmental protection and tree plantations, and to end the use of single-use plastic, and offered beautiful songs in support of the “music of cleanliness!”


ऋषिकेश, 18 जून। पद्मश्री कैलाश खेर पधारे परमार्थ निकेतन और उन्होंने अपने सूफी संगीत की मधुर तान से सभी को आन्नदित किया।

परमार्थ निकेतन एवं उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय मर्म चिकित्सा शिविर का विधिवत समापन दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर युवाओं का आह्वान करते हुये कैलाश खेर ने कहा कि अब स्वच्छता का बजे संगीत क्योंकि आस-पास स्वच्छता होगी तो बीमारियां भी कम होगी।

इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि यह समापन नहीं बल्कि एक नई शुरूआत है, यह दीप जलता रहे तथा परमार्थ निकेतन से मर्म चिकित्सा का संदेश दूर तक जायेगा।

दो दिवसीय मर्म चिकित्सा शिविर में सर्वाइकल, घुटनों का दर्द, फ्रोजन शोल्डर, ब्लड प्रेशर असंतुलन, शुगर, पेरालिसिस, अवसाद-तनाव सहित कई असाध्य रोगों का इलाज किया जा रहा हैं। मर्म चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा शरीर के विशेष प्वांइट पर प्रेशर देकर रोगों से राहत कैसे प्राप्त करें इसका प्रशिक्षण भी दिया गया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की परंपरागत चिकित्सा प्रणालियाँ अत्यंत समृद्ध हैं जो न केवल स्वास्थ्य रक्षण और रोग निवारण के लिये आवश्यक है बल्कि उनमें जीवन जीने का विज्ञान भी हैैै। परंपरागत चिकित्सा पूर्ण रूप से प्राकृतिक सिद्धान्तों पर आधारित है अतः पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करना अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ऋषियों के हजारों वर्षों के ज्ञान, कौशल और अनुसंधानों पर आधारित है, जो प्राकृतिक, स्वदेशी और विभिन्न संस्कृतियों ने समय के साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने तथा शारीरिक एवं मानसिक बीमारी को रोकने, निदान और उपचार करने के लिये उपयोग किया है। इन पैथियों का उपयोग कर इन्हें जीवंत बनायेे रखा जा सकता हैैैै।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सुनील जोशी जी ने बताया कि विश्वविद्यालय में मर्म चिकित्सा पर शोध हो रहे हैं जिससे आने वाले समय में मरीजों के साथ फैकल्टी एवं छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में आयोजित मर्म चिकित्सा शिविर के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के क्षमता और संसाधनों के निर्माण में बल प्राप्त होगा। साथ ही इस पैथी का विस्तार हम पूरे राज्य में कर सकते हैं ताकि सभी को इसका लाभ प्राप्त हो सके।

योगाचार्य श्री विमल बधावन जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन में आयोजित मर्म चिकित्सा शिविर से सैंकड़ों मरीजों को लाभ प्राप्त हुआ तथा हमने प्रशिक्षार्थियों को भी तैयार किया है जो आगे भी मर्म चिकित्सा के माध्यम से सेवा करते रहेंगे। आने वाले समय में भी परमार्थ निकेतन में पारंपरिक चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जायेगा।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से आये मर्म चिकित्सा विशेषज्ञों ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी जी ने पूरी टीम का रूद्राक्ष का पौधा देकर अभिनन्दन किया। इस अवसर पर पद्म श्री कैलाश खेर, साध्वी भगवती सरस्वती जी, माननीय केन्द्रीय राज्य मंत्री पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन श्री संजीव कुमार बालियान जी, माननीय वन तकनीकी मंत्री श्री सुबोध उनियाल जी, माननीय मंत्री पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन श्री सौरभ बहुगुणा जी, माननीय विधायक श्रीमती रेनू बिष्ट जी, डीएम डा विजय कुमार जोगदंडे जी, समान नागरिक संहिता के मनु गौढ़ जी, सचिव वित्त उत्तराखंड सरकार डा आर मीनाक्षी सुन्दरम जी, निदेशक पशुपालन विभाग डा प्रेम कुमार जी, अपर सचिव भारत सरकार एवं वित्त श्री संजीव कुमार जी, सचिव पशुपालन विभाग डा बीवीआरसी पुरूषोत्तम जी

परमार्थ परिवार ने युवा कर्मठ पत्रकार स्वर्गीय श्री नीरज राणा के अचानक निधन पर दुःख व्यक्त करते हुये भावभीनी संवेदनायें अर्पित की।