Health Secretary, GoI Visits Parmarth Niketan

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार श्री सुधांशु पंत जी और कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ एम्स ऋषिकेश डा मीनू सिंह जी ने भेंट की।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड के लिये वरदान है। एम्स के कारण उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी हद तक सुधार आया है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत में नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना सरकार के लिये सदैव ही प्राथमिक विषय रही है, परन्तु अब भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में संसाधनों में काफी वृद्धि देखी गयी है।

स्वामी ने कहा कि यदि हम भारत को एक स्वस्थ राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं तो व्यक्तिगत स्वच्छता और पर्यावरण स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा। पर्यावरण प्रदूषण को कम कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

किसी भी राष्ट्र के स्वास्थ्य क्षेत्र का बुनियादी ढाँचा उस देश की स्वास्थ्य नीति के आकलन का महत्त्वपूर्ण संकेतक होता है। भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है, अत्यधिक जनसंख्या और जलवायु कारकों के कारण आये दिन स्वास्थ्य संबंधी नई उभरती चुनौतियों से निपटने के लिये माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नेतृत्व में स्वास्थ्य क्षेत्र में अद्भुत सुधार हुआ है।

स्वामी जी ने कहा कि निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना ही मानवता की सेवा है और चिकित्सक इसे बखूबी निभाते हैं। दुनिया में ऐसे कई महापुरूष हुये जिन्होंने दुसरों की सेवा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी परन्तु हमने कोरोना के समय मे देखा कि चिकित्सकों ने दूसरों के प्राणों को बचाने के लिये अपने प्राणोें को खतरे में डाल दिया।

स्वामी जी ने कहा कि अपने राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिये हमें विकास का एक ऐसा माॅडल चाहिये जो व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन और उचित स्वास्थ्य सुविधायें दे सके, सभी की पहुंच मौलिक सुविधाओं तक हो और यह तभी सम्भव है, जब हम प्रत्येक मानव में माधव की छवि देख पाये और हमारे जीवन का लक्ष्य मानव सेवा ही माधव सेवा हो हम इसी भाव से जीवन में आगे बढ़ते रहे।

प्रत्येक मनुष्य को गरिमापूर्ण जीवन देने, समाज के हर वर्ग और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार करने हेतु सभी को भारतीय सनातन संस्कृति का सूत्र सेवा ही साधना है को अंगीकार करना होगा। स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार मनुष्य का जीवन ही एक धर्म है। धर्म न तो केवल पुस्तकों में है, न ही धार्मिक सिद्धांतों में, प्रत्येक व्यक्ति अपने ईश्वर का अनुभव स्वयं कर सकता है। “मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित और हर जाति का निर्धन मनुष्य है।” उन्होने ईश्वर से जोडकर दरिद्रनारायण की अवधारणा दी ताकि इससे लोगों को वंचित वर्गों की सेवा के प्रति जागरूक किया जा सके, जिससे गरीबों की स्थिति में सुधार हो सके। मेरा तो मानना है कि चिकित्सक केवल पैथी ही नहीं बल्कि मरिजों और उनके परिवार वालोें को सिम्पैथी भी प्रदान करते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि ऋषिकेश एम्स उत्तराखंड के लिये वरदान होने के साथ ही इस समय डा मीनू सिंह जी के रूप में एक शक्ति उत्तराखंड को मिली है उनके नेतृत्व में चिकित्सा सुविधाओं में अद्भुत परिवर्तन आया है।

स्वामी जी श्री सुधांशु पंत जी और डा मीनू सिंह जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।