Guru Purnima Retreat at Gaunts House in United Kingdom

The Guru Purnima Retreat at Gaunts House in the United Kingdom was such an extraordinary opportunity for devotees and disciples of HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji and Pujya Sadhvi Bhagawati Saraswati to come together and be a part of the divine darshans and satsangs that they led.

Our dear parivar, the Lakhani family, offered such beautiful seva to ensure that the event was uplifting, enriching and memorable!

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परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने क्रान्तिकारी मंगल पांडे की जयंती के अवसर पर अमेरीका की धरती से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि मंगल पांडे एक ऐसे वीर योद्धा थे, जिन्होंने आजादी की पहली लड़ाई का बिगुल बजाया था और अपने निडर व्यक्तित्व से भारतीयों को अपनी ताकत का एहसास करवाया था।
 
मंगल पांडे द्धारा किये शंखनाद के कारण भारतीयों के मन में आजादी पाने की ज्वाला प्रज्वलित हुई और फिर वर्षों के संघर्ष के पश्चात भारत को आजादी मिली। मंगल पांडे एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे आजादी की लड़ाई के प्रथम क्रांतिकारी थे। मंगल पांडे करीब 22 वर्ष की उम्र में साल 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हो गए थे। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें ब्रिटिश आर्मी के 34वीं बंगाल नैटिव इन्फेंट्री में शामिल किया गया था।
 
वर्ष 1949 में जब भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी योद्धा मंगल पांडे ने ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन की थी। उस वक्त भारतीय जनता को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचार सहन करने पड़े थे।
भारतीय जनता जुल्म से त्रस्त हो चुकी थी, जिसके कारण भारतीयों के मन में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पाने की प्रबल इच्छा जागृत हो चुकी थी। सच्चे देश भक्त प्रेमी मंगल पांडे को 18 अप्रैल, 1857 को फांसी दी जानी थी, लेकिन किसी बड़ी क्रांति होने की आशंका एवं डर के चलते अंग्रेजों ने उन्हें 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल, 1857 को फांसी दे दी गई।
 
मंगल पांडे की शहादत ने 1857 अर्थात् देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति की ज्वाला प्रज्वलित की एवं महान स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और समर्पण के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों से आजाद हुआ।
 
स्वामी जी ने अपने संदेश में कहा कि आज हम जिस आजादी का जश्न एवं उत्सव मनाते हैं उसके लिये हमारे देश के शिल्पकारों और स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हमारे इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते है आजादी का महत्व स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी देश के लाखों लोग, जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि कई युवाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। क्योंकि स्वतंत्रता उन्हें अपने प्राणों से अधिक प्रिय थी।
 
भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महापुरूषों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं जिन्होंने अपने मातृभूमि को स्वतंत्र करने के लिये अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। स्वतंत्रता की महत्ता अनगिनत है उसका कोई मोल नहीं है बस एक बात हम अवश्य ध्यान रखें, हमारी असीमित स्वतंत्रता दूसरों के जीवन पर भारी न पड़ जाए। हम अपने वतन को चमन बनाने के लिये, वतन में अमन लाने के लिये तथा देश की एकता और अखंडता के लिये मिलकर कार्य करेंगे। स्वामी जी ने देश को चमन बनाने का संदेश विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को दिया।