Grand & Divine Maha Yamuna Aarti Held at Yamuna Chhath Ghat, Delhi

ऋषिकेश, 19 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य और आशीर्वाद से आज यमुना छठ घाट, आईटीओ के पास दिल्ली में महाआरती का शुभारम्भ हुआ। विश्व विख्यात आध्यात्मिक सूफी गायक श्री कैलाश खेर ने अपने अनूठे व मनमोहक अन्दाज में आज यमुना जी की दिव्य और भव्य आरती का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर माननीय राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल जी, नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा – नमामि गंगे के डायरेक्टर जनरल श्री जी अशोक कुमार जी राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष श्री जगदीश मित्तल जी और अन्य अतिथि उपस्थित थे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संपूर्ण मानव इतिहास के अस्तित्व को बनाये रखने में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है। नदियाँ हमारी महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं और वे मानवता के लिये भी आवश्यक है इसलिये नदियों को संरक्षित रखना हम सबका कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जब तक हम नदियों के प्रति जागरुक नहीं होंगे तब तक नदियों को स्वच्छ नहीं रखा जा सकता। हम सभी को नदियों को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त रखने हेतु पहल करनी होगी ताकि नदियों को पूरी तरह से स्वच्छ किया जा सके। नदियों का निर्मल जल हमारा बहुमूल्य खजाना है इसलिये उसके अंधाधुंध दोेहन को रोकना होगा नहीं तो हमारी नदियाँ विलुप्त हो जाएँगी।

स्वामी जी ने कहा कि यमुना जी भारत की पवित्र नदियों में से एक है। पौराणिक धर्मग्रंथों यथा विष्णु पुराण, रामायण आदि में यमुना को सूर्य पुत्री, यम की बहन और भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी का दर्जा दिया गया है। यमुना जी और गंगा जी के दोआब की पुण्यभूमि में ही हमारी सनातन संस्कृति का विकास हुआ था। नदियाँ माँ की तरह हमारा भरण-पोषण करती आ रही हैं। नदियों के तटों पर ही अनेक सभ्यताओं का विकास हुआ हैं। नदियों का जल न केवल मनुष्यों बल्कि धरती की प्यास भी बुझाता है साथ ही यह हमारी आस्था का भी केन्द्र है। जब हम समस्याओं में उलझे होते हैं तब नदियों के तटों पर सुकून और शांति की तलाश करते हैं। नदियाँ हमारी आस्था, आध्यात्मिकता और सकारात्मकता में वृद्धि करती हैं।

हिन्दू धर्म में तो जन्म से लेकर जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही पूरी होती है। प्रकृति और नदियां ईश्वर का एक अनमोल खजाना है इसे सहेजने के लिये सशक्त कदम उठाने होंगे।

आज वीर शौर्यवान योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर उन्हें याद करते हुये स्वामी जी ने कहा कि शिवाजी महाराज अद्म्य साहस के धनी योग्य सेनापति तथा कुशल राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने एक मजबूत मराठा साम्राज्य की नींव रखी और दक्कन से लेकर कर्नाटक तक मराठा साम्राज्य का विस्तार किया ऐसे महान शासक को शत-शत नमन।

शिवाजी ने अपने साम्राज्य में एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था के साथ कठोर अनुशासन का पालन करने वाली मराठा सेना बनायी थी जो कि छापामार युद्ध नीति में कुशल थी। शिवाजी के नेतृत्व में मराठा सैनिकों ने अनेक उपलब्धियों को हासिल किया था। शिवाजी एक कुशल और प्रबुद्ध सम्राट थे जिन्हें अपनी मातृभूमि से अद्भुत प्रेम था।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शिवाजी महाराज धर्मपरायण होने के साथ-साथ धर्म सहिष्णु भी थे। उनके शासनकाल एवं साम्राज्य में सभी को धार्मिक स्वतंत्रता दी गयी थी और वे सभी धर्मो, मतों और सम्प्रदायों का आदर और सम्मान करते थे। शिवाजी महाराज ने भारतीय संस्कृति, मूल्यों तथा शिक्षा पर अधिक बल दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महाआरती के सफलतापूर्वक आयोजन व दिल्ली में और भी नौ स्थानों पर यमुना जी आरती का दिव्य क्रम चलाये जाने हेतु विशेषरूप से श्री कपिल गर्ग जी, सुशील बंसल जी और उनकी पूरी टीम की उन्मुक्त कंठ और खुले हृदय से प्रशन्सा करते हुये पूरे यमुना परिवार काउंसिल के सभी सदस्य जिन्होंने यमुना महाआरती में जो अद्भुत योगदान दिया उन सभी का सम्मान किया। स्वामी जी ने सभी को उत्साहित किया कि अब हर घाट पर आरती हो ताकि हमारी नदियों को स्वच्छ और सुरक्षित रखा जा सके। इस अवसर पर सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, आचार्य दीपक शर्मा और अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।