Ganga Prahari Conclave at Parmarth Niketan

A three day Ganga Prahari Training, organized by the Wildlife Institute of India and the National Clean Ganga Mission, at Parmarth Niketan under the guidance of Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji concluded today, coinciding with World Forest Day. Over 400 trainees from across eleven Ganga River Basin States were inspired on keeping the Ganga River clean and pristine for future generations. Key topics encompassed the vital role of safeguarding the Ganga, the significance of forests and tree plantation, and the value of rivers and nature in our existence. Let’s all take step towards becoming guardians of our precious rivers and nature.


परमार्थ निकेतन में गंगा प्रहरियों के लिये एक ओरिएंटेशन कार्यशाला ‘‘गंगा की सुरक्षा- गंगा प्रहरी कॉन्क्लेव’ तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, डीन, एफडब्ल्यूएस डॉ. रुचि बडोला जी और 11 राज्यों से आये गंगा प्रहरियों ने दीप प्रज्वलित कर गंगा प्रहरी कॉन्क्लेव का शुभारम्भ किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जल, मानव अस्तित्व और धरती के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है। जल, पृथ्वी का सार्वधिक मूल्यवान संसाधनों में से एक है। जल की रक्षा हमें न केवल अपने लिये बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिये भी करनी है। अगर जल ही नहीं रहेगा तो जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जल नहीं होगा तो सृष्टि का निर्माण नहीं हो सकता।

स्वामी जी ने कहा कि जल है तो जीवन है, जल है तो पर्यावरण है, पर्यावरण है तो ये धरती है और इस धरती पर जीवन है इसलिये जल क्रान्ति को जन क्रान्ति, जल जागरण को जन जागरण और जल अभियान को जन अभियान बनाना होगा।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने जल के माध्यम से शुचिता और जल की स्वच्छता के विषय में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि हम शाकाहार से युक्त जीवन शैली को अपनाकर जल के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। जल संकट को वैश्विक संकट बनने से रोकने के लिये जल की एक-एक बंूंद का संरक्षण करना होगा।

वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम प्रबंधक डा. एस. ए.हुसैन ने विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम आरंभ करने के पश्चात परमार्थ निकेतन में ही प्रथम गंगा प्रहरी सम्मेलन वर्ष 2018  में हुआ था और आज यह जनमानस के एक कारवां के रूप में बढ़ रहा है।

डा रुचि बडोला जी ने कहा कि गंगा और आर्द्रभुमि जो जल के मुख्य स्रोत है, उनका संरक्षण एक पवित्र कार्य है और इसमें हम व आप सहयोगी हैं। हम सभी के संयुक्त प्रयासों से ही यह कार्य सफल हो सकता है। उन्होंने नमामि गंगे कार्यक्रम, भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अब तक के सफर पर भी प्रकाश डाला।

तीन दिवसीय में एनएमसीजी-डब्ल्यूआईआई परियोजना का परिचय, गंगा बेसिन का जलीय जीवन और समुदाय की भूमिका, जलीय जैव विविधता संरक्षण आदि सत्रों के साथ नदी संरक्षण पर नुक्कड़ नाटक, कठपुतली शो आदि का आयोजन किया गया।

गंगा प्रहरी कॉन्क्लेव को श्रीमती गीता गैरोला, डॉ संध्या जोशी एवं डॉ संगीता एंगोम ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। गंगा प्रहरी कॉन्क्लेव में गंगा बेसिन में स्थित 11 राज्यों से आए लभभग 350 गंगा प्रहरियों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए टीम परियोजना वैज्ञानिक डॉ. परिवा डोबरियाल, श्रीमती हेमलता खंडूरी, डॉ. शिवानी बर्थवाल, प्रशांत तड़ियाल, हेम पंत, दीपिका डोगरा, मुकेश आदि टीम अद्भुत योगदान प्रदान कर रही हैं।

ज्ञात हो कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के माध्यम से भारतीय वन्यजीव संस्थान को ‘जलीय प्रजातियों के लिए योजना और प्रबंधन’ हेतु एक परियोजना सौंपी है जिसमें कई हितधारकों को शामिल करके गंगा नदी बेसिन में जैव विविधता की विज्ञान-आधारित बहाली, स्वच्छ गंगा के लिए गंगा नदी बेसिन में पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और रखरखाव हेतु अद्भुत कार्य किये जा रहे हैं। परियोजना के घटक ‘समुदाय आधारित जलीय प्रजातियों के संरक्षण और गंगा नदी बेसिन में आउटरीच’ के रूप में, डब्ल्यूआईआई ने स्थानीय लोगों में से ‘गंगा प्रहरी’ के नाम से जाने जाने वाले स्वयंसेवकों का एक प्रशिक्षित कैडर विकसित किया है जो गंगा नदी के संरक्षण व जैव विविधता के लिए अद्भुत कार्य कर रहे हैं। गंगा बेसिन में बसे 11 राज्यों से आये 350 से अधिक गंगा प्रहरी मीठे जल के संरक्षण के पैरोकार कार्य कर रहे हैं।