Diwali Blessings

“Experience the true spirit of Diwali by becoming the light, spreading kindness and love. Illuminate lives and homes with the glow of generosity. Let’s rediscover the festival’s essence – not just about receiving more, but giving and becoming more.

During this festive season of Deepawali, HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji shares with us that “The light from the divine diya at Deepawali shows us that we are not separate. We are one. That same Divine I worship in the temple resides within my very being, and that same Divine that resides within me also resides within you, and within every creature with whom we share this universe. Just as I perform puja and prayers to the image of the Divine in the temple, so I must extend the same reverence and same care to the divine within all beings upon our planet.

“At this beautiful time of Deepawali, when we will line our homes and our offices and our streets with rows and rows of brightly burning diyas, let us ask ourselves whether our lives are filled with light. Let us ask ourselves if we are truly burning for others, seeing that same Divine light which exists within ourselves in others and in our Earth, serving God by serving others. We must ask ourselves how we bring light and life to others.

“On the holy day of Deepawali, I pray that you will take this opportunity to examine your own lives and take a pledge to fill your lives – every word, every thought and every action — with light, thereby bringing light and life to others.”


परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व के अनेक देशों से आये अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर दीपों का पर्व दीपावली मनायी। अक्सर लोग दीपावली के अवसर पर अपने घरों में रहना पंसद करते हैं परन्तु परमार्थ निकेतन न केवल भारत बल्कि विश्व से आने वाले अतिथियों व पर्यटकों के लिये अपने घर की तरह हैं। विदेश में रहने वाले कई परिवार अपने बच्चों को दीपावली के माध्यम से भारतीय संस्कृति और संस्कारों के दर्शन कराने हेतु परमार्थ निकेतन ले कर आते हैं। ऐसा लगता है मानों परमार्थ निकेतन ही उनका अपना परिवार बन गया है। इस वर्ष भी अमेरिका, कनाडा, पेरू, कोलम्बिया, अफ्रीका, ब्राजील, अर्जेटीना, इंग्लैंड, अस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जर्मनी, वियतनाम, रूस, फिनलैंड, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रिया, स्पेन, आदि देशों से आये अतिथियों ने परमार्थ निकेतन परिवार के साथ दीपावली मनायी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि एकजुट होकर पर्व मनाना समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द की स्थापना के लिये अत्यंत आवश्यक है। विविध परंपराएं और त्यौहार भारत की अद्भुत संस्कृति का संदेश देते हैं। एकजुट होकर पर्वो को मनाने से सामाजिक मूल्यों के अनुकूल जीवन जीने में मदद मिलती हैं जिससे दुनिया को शांति और समृद्धि की ओर ले जा सकते हैं। दीपावली पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संदेश देता है।

स्वामी जी ने कहा कि दीपों का पर्व दीपावली अमावस्या के अन्धकार को दूर कर पूरे वातावरण को प्रकाशित कर देता है उसी प्रकार आन्तरिक अन्धकार को दूर करने के लिये भीतर ज्ञान का दीप जलाने की जरूरत है। वास्तविक दीपावली वही है जब हम

भीतर प्रकाश को खोजे, भीतर की जंक फाइल्स को डिलीट करें, भीतर पड़ी धूल को हटाये, भीतर सद्गुणों का रंगरोगन करें ताकि चैतन्य जागृत हो, ज्ञान के सूर्य का उदय हो।

बाहर तो प्रकाशमान ऊर्जा व्याप्त है भीतर भी एक नन्हा सा दीप प्रज्वलित हो जो भेदभाव की सारी दीवारों को मिट दे और दरारों को भर दे। साथ ही दीपावली पर हम न केवल अपने घरों में दीपक जलाये बल्कि अपने दिलांे में भी प्रेम व सद्भाव के दीप जलायें। हम अपने अन्तर्मन को प्रकाशित करे। दीपावली का तात्पर्य अन्धकार को प्रकाश में बदलना ही नहीं है बल्कि अन्धकार को दूर करना है। अन्धकार चाहे हमारे विचारों का हो, व्यवहार का, दृष्टिकोण का उसे हटाना है। जिस प्रकार सूर्य बाहर चमकता रहता हैं किन्तु यदि हम अपने घर की खिड़कियाँ न खोले और उन्हें पर्दों से पूर्णतया ढक दें तो घर में प्रकाश नहीं आयेगा जिससे घर के अन्दर अन्धकार ही रहेगा।

अर्थात यदि हमें प्रकाश चाहिये तो घर की खिड़कियों को खोलना होगा, पर्दों को हटाना होगा तो प्रकाश स्वतः ही हमारे घर में प्रवेश करेगा उसी प्रकार हमने अपने विचार, व्यवहार और सोच पर रूढ़ियों के, आकंाक्षाओं के, ईर्ष्या के पर्दे डाल रखे हैं

उसे हटाना होगा फिर हमारी चेतना, हमारा अतंःकरण प्रकाश से आलौकित हो उठेगा।

परमार्थ निकेतन माँ गंगा के पावन तट पर आज वेद मंत्रों के साथ दीपावली का पूजन कर प्रार्थना की कि दीपों का यह पर्व सभी के जीवन में उत्साह, उमंग, उल्लास और खुशियों को सौगात लेकर आये। सभी ने मिलकर वैश्विक शान्ति की प्रार्थना की।