Biological Diversity Day at Manas Katha

During the month-long Manas Katha held on the banks of Ganga at Parmarth being given by Pujya Sant Shri Murlidharji, renowned Yogacharya Swami Ramdevji Maharaj, Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, Shri Ajay Bhaiji, and Sadhvi Bhagwati Saraswatiji addressed the Manas Katha crowd, who have come from all over India to hear the Katha.

Yoga Guru Swami Ramdev Ji Maharaj, addressed the audience, saying that living the religion, yoga, spirituality and Sanatan culture is the real life.  He encouraged people to engage in yoga and karma yoga, saying that peace of mind cannot be bought – if peace of mind is found anywhere, it is in prayer to God!

Pujya Swami Chidanand Saraswatiji spoke about the vast diversity of life on earth, and how at present, there is a huge decline in biodiversity on a global scale. It is said that 68 percent of global species are likely to be lost in less than 50 years, which is is a matter of great concern. If nature is saved, water will be saved and the environment will be saved, so Pujya Swamiji encouraged everyone to celebrate festivals, tarpan, marriage anniversaries, and birthdays by planting saplings.  Conservation of biodiversity increases the productivity of the ecosystem, and every species, no matter how small, has an important role to play!

Pujya Swamiji said it is the utmost duty of all of us to try to provide favorable conditions and protection to living beings in their natural habitat. Due to increasing population, the habitats of animals are being destroyed continuously and due to plastic and waste, biodiversity is being affected. Due to excessive pollution, the existence of many species has come under threat, so he encouraged and inspired everyone to take a pledge to plant and conserve trees.


बायोलाॅजिकल डायवर्सिटी दिवस

योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज पधारे परमार्थ निकेतन

पवित्र पावन मानस कथा में किया सहभाग

मानस कथाकार मुरलीधर जी और श्रीमती वीना जी की वैवाहिक वर्षगांठ पर रूद्राक्ष का पौधा देकर किया अभिनन्दन

बायोलाॅजिकल डायवर्सिटी डे के अवसर पर परमार्थ प्रांगण में रूद्राक्ष का पौधा रोपित कर पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

योग और आयुर्वेद के स्वर और संगीत की जरूरत

श्वास और विश्वास के सेतु की जरूरत

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 22 मई। मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी के श्रीमुख से परमार्थ निकेतन गंगा तट पर होने वाली मासिक मानस कथा में आज विख्यात योगाचार्य स्वामी रामदेव जी महाराज, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री अजय भाई जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सहभाग कर भारत के विभिन्न राज्यों से आये मानस कथा प्रेमियों को सम्बोधित किया।

योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज ने भगवान श्रीराम, माँ गंगा और सनातन संस्कृति में विश्वास करने वाले सभी प्रेमियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि धर्म, योग, अध्यात्म और सनातन संस्कृति को जीना ही वास्तिविक जीवन है। मानव जन्म और जीवन को पाकर भगवान के चरित्र का गायन करना सर्वश्रेष्ठ और सर्वस्व है। उन्होंने कहा कि योग और कर्मयोग का विस्तार जीवन में जरूरी है तथा दुनिया के बहकावों से बचना है तो प्रभु के चरणों मंे ध्यान लगाना होगा। मन की शान्ति को कहीं से खरीदा नहीं जा सकता, मन की शान्ति कहीं मिलती है तो वह भगवान की प्रार्थना में।

स्वामी रामदेव जी ने कहा कि भगवान के भजन में ही मुक्ति है। सत्संग करके हम सभी कर्मों से मुक्त रह सकते है; ध्यान कर सकते है। ध्यान सोचने और सोने के पार है इसलिये जितनी देर हम सत्संग करते है उतनी देर आप ध्यान में है। उन्होंने कहा कि दान के माध्यम से धन की मुक्ति होती है और जीवन मुक्ति कथा श्रवण से मिलती है। देह में रहते हुये विदेह होना ही वास्तिविक मुक्ति है इसलिये आप सभी भावतीत और गुणातीत होकर कथा का श्रवण करें।

मानस कथा के दिव्य मंच से आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पृथ्वी पर जीवन की विशाल विविधता का वर्णन करते हुये कहा कि जैव विविधता पौधों, बैक्टीरिया, प्राणियों और मनुष्यों सहित हर जीवित चीज को संदर्भित करती है। वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर जैव विविधता में भारी गिरावट आ रही है। कहा जा रहा है कि 50 वर्षों से भी कम समय में 68 प्रतिशत वैश्विक प्रजातियों के नष्ट होने की सम्भावना है जबकि इससे पहले प्रजातियों में इतनी गिरावट नहीं देखी गई थी, यह अत्यंत चिंता का विषय है। प्रकृति बचेगी तो पानी बचेगा और पर्यावरण भी बचेगा इसलिये अपने उत्सवों, पर्वों, तर्पण, विवाह वर्षगांठ और जन्मदिवस को पौधा रोपण कर मनाये।

जैव विविधता के संरक्षण से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होती है, प्रत्येक प्रजाति, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हो, सभी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है तथा जैव विविधता के संरक्षण से खाद्य श्रंृखलाएँ बनी रहेगी, खाद्य श्रंृखला में गड़बड़ी पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकती है।

जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में अनुकूल परिस्थितियां व सुरक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करना हम सभी का परम कर्तव्य है। बढ़ती जनसंख्या के कारण जीव जंतु के आवास लगातार नष्ट होते जा रहे हैं तथा प्लास्टिक इत्यादि के कारण जलीय एवं स्थलीय जीव जंतु समेत जैव विविधता प्रभावित हो रही है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण कई सारी प्रजातियां के अस्तित्व पर संकट आ गया है इसलिये पौधा रोपण और संरक्षण क संकल्प लें।
परमार्थ निकेतन पावन गंगा तट पर मासिक मानस कथा में योगगुरू स्वामी रामदेव जी महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी और श्रीमती वीना जी की वैवाहिक वर्षगांठ पर उनके सुखद दाम्पत्य जीवन की कल्पना करते हुये रूद्राक्ष का पौधा देकर उनका अभिनन्दन किया।