परमार्थ निकेतन पधारे माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड श्री गुरमीत सिंह जी

परमार्थ निकेतन में आज उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री गुरूमीत सिंह जी पधारे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में संकल्प फाउंडेशन ट्रस्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन में सहभाग कर उद्बोधन दिया।

माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड श्री गुरमीत सिंह जी ने कहा कि संकल्प फाउंडेशन परमार्थ निकेतन में अपना राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहा है, यह क्षेत्र दिव्यता, भव्यता और शुद्धता का संगम है। मैं संकल्प को अपना परिवार ही मानता हूँ। संकल्प अर्थात् निश्चय। हमारे ऋषियों ने संकल्प का वृक्ष आदिकाल से ही लगा दिया था। संकल्प फाउंडेशन ने इसे शिक्षा और जनकल्याण से जोड़कर अद्भुत कार्य किया है। भारत के सिविल सेवकों के व्यक्तित्व और आत्मा के अन्दर राष्ट्र व समाज बसता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देव, सैन्य, तत्व और योग की भूमि है तथा परमार्थ निकेतन दिव्यता और भव्यता का संगम है और आज इस स्थान पर संकल्प की राष्ट्रीय बैठक हो रही हैं। यहां पर मंथन व चिंतन कर जो अमृत निकलेगा उसे अपने साथ लेकर जायंे। यहां से सोच और विचार का अमृत लेकर जाएं ताकि हमारा राष्ट्र उत्तरोत्तर प्रगति करता रहे। यहां से आप गंगा जी से अपना रिश्ता जोड़कर जायें। हम सौभाग्यशाली है कि हमारा जन्म भारत में हुआ हैं। हमारे अन्दर स्वामी विवेकानन्द और हमारे ऋषियों का डीएनए है और उत्तराखंड को भगवान शिव का घर है। यह पूरे भारत की दिव्यता और भव्यता का स्रोत है।

उन्होंने कहा कि भारत का विकास और समृद्धि अलग की स्तर की है इसलिये भारत को विश्व गुरू होने से कोई नहीं रोक सकता; भारत को विकसित राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। राज्यपाल जी ने कहा कि भारत का सैनिक, संत और सेवक एक ही आत्मा से बने हैं।

परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संकल्प फाउंडेशन संकल्प को भी नई दिशा प्रदान कर रहा है। हमारे युवाओं के संकल्प की गति और दिशा क्या हो यह हम सभी को मिलकर सोचने की जरूरत है। सभी वरिष्ठ अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आप सभी ने पूरा जीवन देश की सेवा के लिये समर्पित किया है, आप सब युवाओं का मार्गदर्शन श्रेष्ठ रूप से कर सकते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड संगम, संयम और साधना की धरती है; तपस्थली है। यह टीचिंग के साथ टच एंड ट्रांसफॉर्मेशन की भूमि है, यह इनर पीस देने वाली है; पावर हाऊस है, यह स्विट्जरलैंड और स्पिरिचुअल लैंड का संगम है। उत्तराखंड दिव्यता और भव्यता का संगम है।

स्वामी जी ने अपने बाल्यावस्था के मौन साधना के अनुभवों को साझा करते हुये कहा कि मुखर होना मौन है, मौन भी मुखर है, इसी के माध्यम से अपना संकल्प समष्टि का संकल्प बन जाता है। स्वामी जी ने कहा कि यहां से मस्त और मजबूत रहने का संदेश लेकर जायंे। अपनी सोच को प्रदूषित न होने दें तो भारत ही नहीं पूरे विश्व में सकारात्मक परिवर्तन होगा।

संकल्प फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री संतोष जी आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से जुड़कर सभी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि स्वर्गाश्रम को स्वर्ग बनाने में पूज्य स्वामी जी का महत्वपूर्ण योगदान है। स्वामी जी ने गंगा आरती के माध्यम से भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने में अद्भुत योगदान है। संकल्प परिवार का परम सौभाग्य है कि हमें गंगा के पावन तट पर संकल्प का राष्ट्रीय सम्मेलन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

उन्होंने कहा कि देवभूमि के माननीय राज्यपाल जी कि कृपा व संकल्प परिवार पर उनका संरक्षण सदैव बना रहता है। परमार्थ निकेतन दिव्य भूमि है इस दिव्य भूमि में स्वामी जी की आज्ञा से हम प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सम्मेलन करना चाहते है।
संतोष जी ने बताया कि संकल्प फाउंडेशन विगत 12 वर्षों से सिविल सर्विसेज़ एक्जाम में प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर रहा है और 55 प्रतिशत सिविल सर्वेंट संकल्प फाउंडेशन से गये हैं।

उन्होंने कहा कि संस्कार जन्म से आते है परन्तु उन्हें निखारने का कार्य हम सभी का है। भारत में अभी भी ऊर्जा है तभी तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने भारत को कहां से कहां पहंुचा दिया है परन्तु इस यात्रा में भारत के 135 से 140 करोड़ भारतीयों का भी योगदान है। उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी जी की वाणी और मार्गदर्शन से हम सभी का मनोबल बढ़ा है।

संकल्प फाउंडेशन उन बच्चों को समर्पित है जो गरीब परिवारों से सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिये आते हैं, उन सभी बच्चों को अवसर प्रदान करता है। उन्होंने स्वामी जी और माननीय राज्यपाल जी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड में संकल्प का केन्द्र खोलने की इच्छा व्यक्त की। इस अवसर पर श्री अमित श्रीवास्तव, श्री अनिल जोशी, डॉ. जी प्रसन्न कुमार जी, श्री पाराशर जी, विद्यासागर जी, जोशी जी, विजय शंकर जी, अनुपम कुलश्रेष्ठ जी, मल्होत्रा जी, संजय शरण जी, वेणुगोपाल जी, गुप्ता जी, शैलेन्द्र जी, दिनेश जी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सहभाग किया।