दृष्टिबाधित शैलेन्द्र यादव जी, महासचिव क्रिकेट एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया आये परमार्थ निकेतन

परमार्थ निकेतन में पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित शैलेन्द्र यादव जी, महासचिव क्रिकेट एसोसिएशन फाॅर द ब्लाइंड इन इंडिया, आये, उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर गंगा आरती में सहभाग किया।

शैलेन्द्र यादव जी ने बताया कि वे परमार्थ निकेतन में पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद लेने हेतु आये हैं। माँ गंगा और पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद लेकर वे बर्मिघम, इंग्लैंड में पहली बार होने वाले ब्लाइंड क्रिकेट में सहभाग करेंगे, जिसमें विश्व के 70 देश सहभाग कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि माँ गंगा का आशीर्वाद, करोड़ों भारतीयों की शुभकामनायें व हमारे खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत से हम अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शैलेन्द्र यादव जी को उनकी आगामी योजनाओं के लिये शुभकामनायें देते हुये कहा कि बेहतर पर्यावरण के लिये जीवन-शैली में स्थायी रूप से अपनाये जाने वाले छोटे बदलावों को अंगीकार करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अब प्लास्टिक हमारे समुद्र तटों, जलमार्गों, वनों और यहां तक कि अब तो हमारे पहाड़ों पर भी पाये जाने लगा है इसलिये अब उपयोग करो और फेंकों की संस्कृति से हमारी पारम्परिक संस्कृति की ओर बढ़ना होगा। मिशन लाइफ को अपनाना होगा।

शैलेन्द्र यादव जी ने कहा कि जिस गंगा तट पर हम खड़े है पर परमार्थ गंगा तट अद्भुत और ऐतिहासिक है। इस पृथ्वी पर सब कुछ होना जरूरी है, दिव्यांग होना भी जरूरी है, यह भगवान की देन है। जिस प्रकार पर्वत और धरातल इन सभी की भी जरूरत है। अगर पृथ्वी पर सूखा नहीं होगा तो जल का महत्व समझ में नहीं आयेगा। जो लोग हिमालय अर्थात् पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं, वे सभी हमारे ही भाई-बहन हैं, वे ही वास्तविक रूप से इन पर्वतों की रक्षा करते हैं परन्तु जब हम पर्यटन के लिये बाहर निकलते हैं; उत्सव करते हैं तो उस दौरान हम इतना कुछ पहाड़ों पर छोड़ कर आते हैं, वह कचरा, प्लास्टिक कई वर्षो तक वहां पडा रहता है और हमारे द्वारा किये गये एक दिन के उत्सव से हमारे पहाड़ वर्षो तक के लिये प्रदूषित हो जाते हैं। पहाड़ों पर पड़ा यह प्लास्टिक इधर-उधर से, नदियों से होता हुआ हमारे रसोई व हमारे बच्चों के पेट तक चला जाता है और फिर जब हमारी अगली पीढ़ी आती है तो वह दिव्यांग होकर आती है और फिर आपको कष्ट देती है। अगर हम कूड़ा व गंदगी फैलायेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को ही इसका भुगतान करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अपनी आगे आने वाली पीढ़ियों को बचाने के लिये हम सीमाओं पर जाकर तो नहीं लड़ सकते परन्तु अपने घर के कूड़े के उचित निपटान के लिये अपने आप को तैयार तो कर सकते हैं। अगर हमने आपने घर के कूड़े का समाधान पा लिया तो माने अपने देश को बचा लिया। अगर हम अपने घर को सुरक्षित रखेगे तो समाज सुरक्षित रहेगा व फिर देश भी सुरक्षित रहेगा।

उन्होंने बताया कि वे समर्थनम् ट्रष्ट के माध्यम से वे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे हैं। इस ट्रष्ट में 650 लोग कार्य कर रहे हैं, जिसमें 300 दिव्यांग हैं तथा हम दस हजार से अधिक दिव्यांगों को शिक्षा व रोजगार प्रदान कर रहे हैं। साथ ही प्रतिदिन 7 हजार बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान कर रहे हैं तथा हर महीने 15 हजार टन कूड़ा घर-घर जाकर एकत्र करते हैं। उसे गीला, सूखा अलग कर रिसाइक्ल किये जा रहा है इस प्रकार हम समर्थनम् के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी को प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया तथा शैलेन्द्र यादव जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।