World Science Day for Peace and Development Message

शांति और विकास हेतु विश्व विज्ञान दिवस

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई इबारत लिखने का समय

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

आज शान्ति और विकास हेतु विश्व विज्ञान दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विज्ञान के बिना विकास सम्भव नहीं परन्तु टिकाऊ, सतत और नैसर्गिक विकास के बिना जीवन में शान्ति की कल्पना नहीं की जा सकती। वर्तमान युग विज्ञान का युग है, जहाँ विज्ञान के विकास ने एक तरफ मानव जीवन को सरल एवं सुलभ बनाया है तो वहीं दूसरी ओर न केवल महाविनाश के हथियार जैसे परमाणु बम, मिसाइल, टैंक आदि का आविष्कार किया जा रहा है बल्कि इससे पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है, जिसके कारण लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं इसलिये जरूरी हो गया है कि हम विकास से पहले मानवता के संरक्षण के लिये मिलकर चिंतन करे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अब वह समय है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई इबारत लिखी जाये। भारत ने अपनी विकास की यात्रा बैलगाड़ी से शुरू की और अब हम अंतरिक्ष यात्रा कर रहे हैं, हम मंगल और चाँद तक पहुँच गये हैं लेकिन अब हम पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार कर उसके समाधान हेतु मिलकर कार्य करे ताकि भावी पीढियां भी स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में रह सके।

स्वामी जी ने कहा कि पीस और पोल्यूशन (शांति और प्रदूषण) दोनों एक साथ नहीं रह सकते इसलिये व्यक्तिगत और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी को स्वहित से उपर उठकर सतत, सुरक्षित और टिकाऊ विकास की ओर बढ़ना होगा तथा विकास और पर्यावरण के बीच एक पुल का निर्माण करना होगा क्योंकि अब सिर्फ बात करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जो भी जरूरी कदम है उन पर अमल भी करना होगा और सभी को मिलकर शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की भावना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिये कार्य भी करने होंगे।

स्वामी जी ने कहा कि भारत ने सदैव ही विश्व-बंधुत्व, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं ‘‘वसुधैव कुटुंबकम्’ को प्रमुखता प्रदान की है। वर्तमान समय में सतत और सुरक्षित विकास को ध्यान में रखते हुये विज्ञान को समाज के साथ निकटता से जोड़कर, शांति और विकास के लिए कार्य करना होगा ताकि हमारा ग्रह हरित, सुरक्षित और अधिक टिकाऊ बना रहे।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन संस्कृति से ही भारत प्रकृति पूजक रहा है तथा वैश्विक शांति स्थापित करने में भारत ने सदैव ही अग्रणी भूमिका निभायी है। प्राचीन काल से ही पर्यावरण संरक्षण, शांति एवं सद्भाव भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएं रही हैं। भारत ने दुनिया भर में शांति एवं मानवता का संदेश प्रसारित किया है तथा “वसुधैव कुटुंबकम्” की अवधारणा हिंदू धर्म की प्रमुख विशेषता रही है। साथ ही भारत ने पूरी दुनिया को अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह का पाठ पढ़ाया है। वर्तमान वैज्ञानिक युग में भी जरूरी है कि हम इन दिव्य सूत्रों को आत्मसात कर सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिये शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के साथ आगे बढ़े। शांति और विकास हेतु विश्व विज्ञान दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के सान्निध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने पौधों का रोपण कर हरित और सुरक्षित विकास का संकल्प कराया।