World Menstrual Hygiene Day

World Menstrual Hygiene Day – celebrated every 28th day of the 5th month because a woman’s cycle is often 28 days and lasts 5 days – was created to help remove the taboos and misconceptions about menstruation – a matter of health for women and girls that constitutes seven to eight years of their time on the planet. And, as Parmarth Niketan President and Spiritual Leader and Founder of the Divine Shakti Foundation, HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji, so eloquently shares, “is not only a matter of health for women and girls, but for their families and for the entire nation.”

“Everyone has to understand,” Pujya Swamiji continues, “that menstruation is healthy. In fact, life happens because menstruation happens. Menstruation is preparation for life. But, in many areas, menstruation is still not talked about openly. This boon is not a curse, so we must honour it, break the silence and discuss it openly. Women and adolescents face many types of challenges during menstruation. There are some religious and some social stigmas. There are even many places where menstruating girls are isolated at family, religious and social gatherings. And, this affects one’s personality and thinking, and they start feeling vulnerable and insecure. And, now, with Covid, women and adolescent girls face a shortage of sanitary products, and many of these women are frontline Covid workers. It’s more important than ever to make the products that they need acceptable, affordable and available so that they can continue their work. The silence and the taboos about menstruation must be broken – for our women and girls, for our families and for our Nation.”

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस
माहवारी स्वस्थ तो जीवन मस्त
माहवारी है तो हम
माहवारी जीवन की तैयारी
माहवारी अभिशाप नहीं, वरदान
चुप्पी तोड़े, चर्चा करें
पीरियड्स को सुरक्षित, स्वच्छ और गरिमामय बनायें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

28 मई, ऋषिकेश। आज पूरे विश्व में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में फैली मासिक धर्म संबंधी वर्जनाओं और अवधारणाओं को दूर किया जा सके तथा किशोरियों तथा महिलाओं को इससे संबंधित सही और सटीक जानकारी उपलब्ध हो सके। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वास्तव में मासिक धर्म केवल महिलाओं का ही विषय नहीं है बल्कि पूरे परिवार के साथ कहीं न कहीं पूरे राष्ट्र का स्वास्थ्य भी इससे जुड़ा हुआ है। देखा जाये तो यह विषय देश की आधी आबादी से जुड़ा हुआ है और यह इसलिये भी जरूरी है क्योंकि यह हमारी बेटियों के जीवन का फुलस्टाप बनता जा रहा है अतः यह केवल चिंतन का नहीं बल्कि एक्शन का विषय भी है।
स्वामी जी ने कहा कि माहवारी स्वस्थ तो जीवन मस्त और माहवारी है तो हम है क्योंकि माहवारी अर्थात जीवन की तैयारी। माहवारी अभिशाप नहीं, वरदान इसलिये चुप्पी तोड़े और इस पर खुलकर चर्चा करें।

महिलाओं एवं किशोरियों को माहवारी के दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ धार्मिक और कुछ सामाजिक स्तर की चुनौतियां होती हैं। कई स्थान ऐसे हैं जहाँ मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है। पारिवारिक, धार्मिक और सामाजिक स्तर पर कई स्थानों पर उनका प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है। जिसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव उनके व्यक्तित्व और सोच पर पड़ता है, वे अपने आप को कमजोर और असुरक्षित महसूस करने लगती है। कई क्षेत्रों में माहवारी से सम्बंधित समस्याओं पर अभी भी खुलकर बात नहीं होती है। माहवारी को लेकर समाज में जो चुप्पी है उसके लिये शिक्षा एवं जागरूकता दोनों स्तरों पर व्यापक कार्य करने की जरूरत है।

सभी को समझाना होगा कि मासिक धर्म, महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित एक प्रमुख विषय है क्योंकि वे अपने जीवन के तीन हजार से अधिक दिन माहवारी (पीरियड्) में गुजारती हैं इसलिये उन तीन हजार दिनों का अर्थात् उसके जीवन के सात से आठ वर्षो का प्रबंधन ठीक से किया जाना नितांत आवश्यक है। परिवार के सदस्यों के साथ, घर एवं स्कूल में भी इस पर खुलकर बातचीत होनी चाहिए, जिससे माहवारी को लेकर जो झिझक है वह दूर हो सके और इसके लिये रूढिवादी सोच और वर्जनाओं से ऊपर उठना होगा।

कोविड -19 के दौरान महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले सेनेटरी प्रोड्क्ट् की कमी का सामना करना पड़ा। अभी भी जो महिला फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं अथवा जो पीपीई किट पहन कर कोविड वार्ड में सेवायें प्रदान कर रही हैं उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसलिये अब मासिक धर्म को और सहज़ और सुरक्षित बनाने के लिये प्रोग्राम फोर ए एक्सेप्टेबिलिटी, अवेलेबिलिटी, अफॉर्डेबिलिटी, एक्सेसिबिलिटी पर कार्य करना होगा।

महिलाओं और बेटियों को मासिक धर्म से संबंधित प्रोड्क्ट के विषय में जानकारी देना होगा कि सूती कपड़े के पैड और मासिक धर्म कप (मेंस्ट्रुअल कप) शरीर और पर्यावरण दोनों दृष्टि से उपयुक्त हंै। मासिक धर्म के दौरान रक्त सोखने के लिये जो भी प्रोड्क्ट उपयोग में लाये जाते हैं, उन्हें चार घन्टे के अंतराल में बदलना आवश्यक है, नही तो उससे इन्फेक्शन और अन्य बीमारियां हो सकती हैं।

बाजार में चार प्रकार के मासिक धर्म प्रोड्क्ट, उत्पाद उपलब्ध हैं – ‘‘1-सूती कपड़े के पैड, जिन्हें पुराने कपड़ों से घर पर भी बनाया जा सकता है। 2-सैनेटरी नैपकिन जो सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है परन्तु यह सैल्यूलोज, पाॅलिमर और प्लास्टिक का होने के कारण शरीर और पर्यावरण के लिये नुकसानदायक हो सकता है। 3- टैम्पौन जो मासिक धर्म के रक्त को सोखता है तथा 4-मेंस्ट्रुअल कप जो सीलिकाॅन से बना होता है तथा शरीर के साथ-साथ पर्यावरण के लिये भी हानिकारक नहीं होता ऐसी कई रिसर्च के आधार पर सिद्ध किया गया है।’’

ज्ञात हो कि 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाने का उद्देश्य है मासिक धर्म (पीरियड्स) से जुड़ी गलत अवधारणाओं को समाप्त किया जा सके। इसके लिये मई महीने की 28 तारीख इसलिए चुनी गयी, क्योंकि अक्सर महिलाओं में मासिक घर्म का चक्र 28 दिन का होता है और 5 दिनों तक चलता है इसलिये साल के पांचवे महिने मई के 28 वें दिन मनाया इसे जाता है।