Revered Lamas Visit Parmarth Niketan

बौद्ध धर्मगुरू पधारे परमार्थ निकेतन

ड्रिकुंग काग्यू चेतसांगजी रिनपोछे जी, लामा कोंचोक जी, खेनपो रंगडोल जी और आचार्य खेनपो रंगडोल जी, अन्य श्रद्धेय बौद्ध भिक्षुओं और शिष्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से की भेंटवार्ता

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट का लद्दाख में पौधारोपण, जैविक खेती और पर्यावरण अनुकुल विकास परियोजनायें विकसित करने हेतु हुई चर्चा

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को भगवान बुद्ध की प्रतिमा और अंगवस्त्र भेंट कर लद्दाख में आमंत्रित किया

ऋषिकेश, 23 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट, चर्चा और लद्दाख आमंत्रित करने हेतु ड्रिकुंग काग्यू चेतसांगजी रिनपोछे जी, लामा कोंचोक जी, खेनपो रंगडोल जी और आचार्य खेनपो रंगडोल जी, अन्य श्रद्धेय बौद्ध भिक्षु और शिष्य परमार्थ निकेतन पधारे।

बौद्ध भिक्षुओं ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट का लद्दाख में पौधारोपण, जैविक खेती और पर्यावरण अनुकुल विकास परियोजनायें विकसित करने आदि अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि लद्दाख क्षेत्र भारत के आवश्यक ऊर्जा संसाधनों की पूर्ति करने में सक्षम है। लद्दाख शान्ति की भूमि है अतः वहां पर शांति बनाए रखना सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि न केवल लद्दाख बल्कि सभी स्थानों पर शांति के बल पर ही समान निष्पक्ष और सतत विकास किया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि भारत के नीति निर्माताओं को लद्दाख के लिये अपनी नीतियों का मसौदा तैयार करते समय लद्दाख की भौगोलिक स्थिति, वहां का दिव्य वातावरण, प्राकृतिक संसाधन क्षमता, टिकाऊ जीवन शैली तथा वहां के लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखना जरूरी है।

स्वामी जी ने कहा कि पहाड़ों पर प्रकृति की प्रधानता को ध्यान में रखते हुये विकास को बढ़ावा देना होगा। हम पर्यावरण की संतति है न की नियंता इसलिये प्रकृति के साथ व्यवहार भी संतति की तरह की करना होगा।

वर्तमान समय मंे विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि हम स्वयं को पर्यावरण का नियंता समझने लगे हैं। मनुष्य ने अपने आविष्कारों एवं उद्यमिता से दुर्गम पहाड़ों, वन, रेगिस्तान एवं दर्रों को सुगम बना दिया है। अंधाधुंध विकास के लिये हो रही पर्यावरणीय क्षति पर विचार किये बिना विकास जारी रखा जिसका परिणाम वर्तमान समय में हमारे सामने है अतः अब हमें पर्यावरण अनुकुल विकास को बढ़ावा देना होगा।

बौद्ध भिक्षुओं के दल ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को लद्दाख आने हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि लद्दाख में पौधारोपण अभियान स्वामी जी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से ही शुरू किया जायेगा। स्वामी जी ने अमंत्रण को स्वीकार करते हुये उन्हें अधिक से अधिक पौधारोपण के लिये प्रेरित किया।

सभी बौद्ध भिक्षुओं ने सुश्री गंगा नंदिनी त्रिपाठी द्वारा आयोजित ध्यान की कक्षा में सहभाग किया।