Renowned Indian scientist and senior member of NITI Aayog, Shri Dr V K Saraswati Welcomed to Parmarth

HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji and Pujya @Sadhvi Bhagawati Saraswatiji were glad to welcome renowned Indian scientist and senior member of NITI Aayog, Shri Dr V K Saraswatji, to Parmarth for far-reaching discussions about ways that the migration of Uttarakhand’s people to other states and countries can be mitigated or stopped. The answer, according to Dr Saraswatji, is simple – create energy from pine trees!

भारतीय वैज्ञानिक और नीति आयोग के वरिष्ठ सदस्य श्री वी. के. सारस्वत जी पहुंचे परमार्थ निकेतन

उत्तराखंड से हो रहे पलायन को रोकने के लिये हुई चर्चा

चीड़ के वृक्षों से ऊर्जा का निर्माण कर रोका जा सकता है पलायन

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 29 मई। परमार्थ निकेतन में भारतीय वैज्ञानिक श्री विजय कुमार सारस्वत जी सपरिवार परमार्थ निकेतन पहंुचे। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया तथा माँ गंगा जी की आरती में सहभाग किया। इस अवसर पर भारतीय वैज्ञानिक कर्नल कासी जी, भारतीय वैज्ञानिक श्री भारद्वाज जी और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।

श्री सारस्वत जी पूर्व में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के महानिदेशक और भारतीय रक्षा मंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था और वर्तमान में नीति आयोग के वरिष्ठ सदस्य हैं। उन्होंने स्वामी जी से चर्चा के दौरान परमार्थ निकेतन में लगाये गये बायोडाइजेस्टर टाॅयलेट के प्रथम सिविल माॅडल के विषय में जिक्र करते हुये कहा कि जब सियाचिन में कार्यरत हमारे सैनिकों के लिये बायोडाइजेस्टर बनाया जा रहा था उसका प्रथम सिविल माडॅल परमार्थ निकेतन में लगाया गया था।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य पहाड़ी राज्य है और इसकी समस्यायें भी पहाड़ की तरह है अतः यहां पर रहने वालों की पीड़ा हम सभी के लिये प्रेरणा बनें। यहां के उत्पादों से स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त हो। स्वामी जी ने कहा कि चीड़ के वृक्षों में से ऊर्जा का निर्माण कर उत्तराखंड की पलायन की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है तथा इससे वनाग्नि की समस्याओं का भी समाधान प्राप्त होगा। उत्तराखंड में गर्मी के लगभग छह महीनों में फारेस्ट फायर की 1,000 से अधिक घटनाएं होती है जिससे भारी नुकसान होता है, इसका भी समाधान मिलेगा। साथ ही चीड़ के पत्ते और परोल को एकत्र करने से स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार प्राप्त होगा।

भारतीय वैज्ञानिक श्री विजय कुमार सारस्वत जी ने चीड़ के वृक्षों, कृषि-उद्योग तथा वन्य क्षेत्रों के क्रियाकलापों के अंतर्गत बड़ी मात्रा में बायोमास सामग्री उत्पन्न होती है। लगभग 500 मिलियन टन कृषि तथा कृषि-उद्योग अवशिष्ट हर साल पैदा किया जाता है जो कि ताप ऊर्जा के रूप में यह मात्रा तकरीबन 175 मिलियन टन तेल के बराबर है। इन सामग्रियों के बायोमास से पैदा होने वाली बिजली की संभावित मात्रा 100000 मेगावाट तक पहुँच सकती है इसलिये इसके पायलट प्रोजेक्ट पर शीघ्र ही योजना बनायी जायेगी।

माँ गंगा के पावन तट पर स्वामी जी ने पुष्प हार और रूद्राक्ष को पौधे से श्री सारस्वत जी और अन्य सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकों का अभिनन्दन किया तथा सभी ने मिलकर विश्व ग्लोब का जलाभिषेक कर जल संरक्षण का संकल्प कराया।