Pujya Swamiji’s Message on World Oceans Day: जल संरक्षण हेतुु स्वयं को जुटना होगा, जुड़ना होगा और जोड़ना होगा

“Let us keep our Rivers, Oceans and our Planet free from our mismanaged pollution. There are so many ways waste can be safely disposed and/or reused, it’s time to apply these technologies and innovations so that we can be part of the solution and not the problem. Youth must lead the way to find and implement new and green technologies. Its time for that our policies and our attention is on effective waste management because the time for #climateaction is now!” ~HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji

June 8 is the United Nation’s day for celebrating the role of the oceans in our everyday life and inspiring action to protect the ocean and sustainably use marine resources. (see http://unworldoceansday.org to learn more).

विश्व महासागर दिवस पर विशेष: जल संरक्षण हेतुु स्वयं को जुटना होगा, जुड़ना होगा और जोड़ना होगा-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 8 जून। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज विश्व महासागर दिवस पर जल और जलीय जीवन का संरक्षण करने का संकल्प कराया। वर्ष 2020 में इसकी थीम ’इनोवेशन फाॅर ए सस्टेनेबल ओशन’ रखी गयी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा के हमें हमारी नदियां, महासागरों और अपने ग्रह को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा; अपने कचरे का सुरक्षित निपटाना होगा तथा नवाचार तकनीक को लागू करना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर अपने प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने हेतु प्रयत्न करना होगा। हम इन समस्याओं का समाधान करें न कि समस्यायें पैदा करें। अब हमें अपनी जीवनशैली भी बदलना होगा, हम ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर की ओर बढ़ें, ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर बढ़ें, नीड कल्चर से नये कल्चर की ओर बढं़े। यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़े तथा सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करंे तभी अपनी जलराशियों को सुरक्षित रख सकतेे है।

We must come together to protect our blue planet.

स्वामी जी ने कहा कि जल संरक्षण हेतु हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, हम सभी को चाहे वे महानगरों, नगरों, गांवों और निकायों कहीं भी रहते हो सभी नागरिकों को तथा संत, समाज, सरकार और संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी, जवाबदेही, उत्तरदायित्वों को समझना होगा। जल को प्रदूषण मुक्त करने हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा, सब के मिलकर एक सेतु बना कर कार्य करना होगा। आज की युवा पीढ़ी को चाहिये कि वे अपने टाइम, टैलंेट, टेक्नोलाॅजी एवं टेनासिटी के साथ अपनी जलराशियों के संरक्षण हेतु आगे आयंे, इस कार्य के लिये स्वयं को जुटना होगा, जुड़ना होगा और सबको जोड़ना होगा।
पृथ्वी पर जल का सबसे अच्छा स्रोत महासागर है। पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल से घिरा है। आज बढ़ते प्रदूषण के कारण जलीय ग्रह भी बिना जल के होने की कगार पर खड़ा है। प्रदूषण के कारण एक ओर तो जल संकट बढ़ रहा है, वही दूसरी ओर जलीय जीवन नष्ट हो रहा है।

’ईको वाच’ पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य करने वाली वेबसाइट के अनुसार समुद्र में बढते प्लास्टिक के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख से अधिक जलीय जीवों की मौत हो जाती है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वर्ष 2030 तक पृथ्वी पर प्लास्टिक की मात्रा आज की तुलना में दोगुनी हो जायेगी। आज जिस गति से प्लास्टिक का निर्माण हो रहा है उसकी तुलना में आधा भी रिसाइकिल नहीं किया जाता जिसके कारण सब प्लास्टिक समुद्र में एकत्र हो रहा है, जिससे समुद्री जीवों का दम घुटने लगा है।

कहा जा रहा है कि प्रशांत महासागर में 80 हजार टन से अधिक प्लास्टिक एकत्र हो गया है, जो जलीय जीवन के लिये सबसे बड़ा संकट है। हमें समुद्री वनस्पति से आॅक्सीजन प्राप्त होती है परन्तु अब समुद्री सतह पर प्लास्टिक इस प्रकार एकत्र हो गया है कि जलीय वनस्पतियां नष्ट हो रही हैं जिससे धरती पर आॅक्सीजन, खाद्य सामग्री

We must be the solution to the pollution. Finding innovative means to effective solid waste management

और अन्य कई संसाधनों की मात्रा भी कम हो रही है। हम मुम्बई समुद्र की बात करंे तो जब उसमें ज्वार आता है तो काफी कुछ कचरा-कूडा किनारों पर आ जाता है उससे कई प्रकार की बीमारियां फैलती हैं जिसका सामना वहां रहने वाले लोगों को करना पड़ता है इसलिये हमें एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगानी होगी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा जल का प्रदूषण जल का संकट न केवल स्वयं में भयावह है, बल्कि यह साथ में रोजगार की कमी, खाद्य सुरक्षा, आॅक्सीजन की कमी जैसी अनेक समस्याओं को लेकर आयेगा। आज भारत में 1 अरब से अधिक लोग जल की समस्या झेल रहे हैं और पूरे विश्व में यह संख्या 4 अरब से अधिक है। उन्होनेे कहा कि अब हमें जल संरक्षण के लिये जल का उचित और प्रभावी उपयोग किया जाये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विश्व महासागर दिवस के अवसर पर जल संरक्षण का संकल्प कराया ।

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