International Day of Families

Today is International Day of Families, and HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji took the opportunity the day presents to remind us that families are the most important element of any peace-loving society, and unity the backbone of that society. “A family,” He said, “is made up of mother, father, sister, brother…but, what unites everyone is the invisible cord made-up of mutual love and sacrifice. We are all like branches of a huge Banyan tree, planted in different countries of the world but held together by our roots. We need to come together in this Pandemic period to strengthen the roots of that Banyan tree with the nutrients of love, compassion, service, help and support. We need a sense of our True Self to overcome the pain of our breaking hearts; we need family support because humans can only live and thrive in the shadow of love and brotherhood. Our common goal should be to promote unity and empowerment among families and communities so that our weakened condition can be built-up by the strong pillar of compassion. And we should be sure to add our sacred Mother Nature to our family. It is our neglect of her that has caused this period of crisis. If we want to save our human family, we must save the environment. Let us pray together, let us stay together, and let us join our hearts and souls in solidarity and unity for global health and healing!”

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस
व्यापार पी आर से तो परिवार प्यार से; घर संस्कार से जीवन मधुर व्यवहार से
परिवार व्यवस्था सामाजिक एकजुटता और शांतप्रिय समाज की सबसे आवश्यक संस्था
विश्व एक बाजार नहीं बल्कि परिवार
परिवार पी आर से नहीं प्यार से चलते है
आज के रिश्ते भी किश्तों में-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

15 मई, ऋषिकेश। आज अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी के उत्तम स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हुये परमार्थ कोविड केयर सेन्टर को निरिक्षण किया। उन्होंने कहा कि परिवार व्यवस्था सामाजिक एकजुटता और शांतप्रिय समाज की सबसे आवश्यक संस्था है। महामारी के इस दौर में हृदय की वेदना से उबरने के लिये अपनांे की संवेदना चाहिये; एक परिवारिक अपनत्व चाहिये और अपनांे का सहारा चाहिये क्योंकि मानवता का अस्तित्व प्रेम और भाईचारे की छांव में ही जीवंत रह सकता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परिवार, समाज की बुनियादी और प्राकृतिक इकाई है। पारस्परिक एकता ही सामाजिक सामंजस्य की रीढ़ भी हैं। हम सभी एक विशाल वट वृक्ष की शाखाओं के समान है जो दुनिया में अलग-अलग देशों एवं दिशाओं में रह रहंे हैं और हमें अपनत्व रूपी जड़ों ने जकड़ कर रखा हंै। अब हम सभी को एक साथ आकर उस वट वृक्ष की जड़ों को प्रेम, करूणा, दया, सेवा, सहायता और सहयोग रूपी पोषक तत्वों से और मजबूत करना होगा ताकि इस बिलखती मानवता को करूणा रूपी मजबूत पिलर प्राप्त हो सके।

स्वामी जी ने कहा कि परिवार और पारिवारिक एकजुटता सभी मानवीय रिश्तों में सबसे परिष्कृत होती है। माँ, बहन, भाई, पिता आदि से मिलकर एक परिवार बनता है लेकिन जो चीज सभी को एक साथ मिलाती है वह है अदृश्य गर्भनाल और वही आपसी प्रेम और त्याग की डोर है। इस डोर को कभी काटा नहीं जाना चाहिए क्योंकि यह वही डोर है जो परिवार को एक साथ बांधती है। अब इसी डोर से परिवारों के साथ समुदायों को बांधना होगा ताकि सामाजिक एकता और एकजुटता को आगे बढ़ाया जा सके। परिवारों और समुदायों के बीच सामाजिक एकता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना ही हमारा साझा लक्ष्य हो।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुमबकम् अर्थात विश्व एक परिवार है की है। विश्व एक बाजार नहीं बल्कि परिवार है। बाजार में लेन-देन होता है, मेरा लाभ दूसरे की हानि यह रिश्ता होता है लेकिन परिवार में केवल समर्पण होता है। माता-पिता अपनी सन्तानों पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हंै। आज विश्व परिवार दिवस के अवसर पर केवल अपने परिवार को ही नहीं बल्कि प्रकृति को भी जोड़ना होगा। प्रकृति की उपेक्षा का ही परिणाम है कि आज मानवता संकट के दौर से गुजर रही है। परिवार को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा इसलिये सभी मिलकर परिवार, पर्यावरण, प्रकृति और पृथ्वी को बचाने हेतु आगे आयें।

स्वामी जी ने कहा कि आईये पूरा वैश्विक परिवार मिलकर एक साथ प्रार्थना करें इस प्रकार हम एक-दूसरे से जुड़ें रहंेगे। हमारा समाज स्वस्थ रहे इस हेतु सभी प्रार्थना करें इससे सभी को धैर्य, संयम और शान्ति मिलेगी। आईये हम हृदय और आत्मा से जुड़ें और वैश्विक स्वास्थ्य और उपचार हेतु एकजुटता और एकता के साथ प्रार्थना करें।