International Day for Biological Diversity

During International Day for Biological Diversity observances at Parmarth Niketan, its President and Spiritual Leader, HH Pujya Swami Chidanand Saraswatiji opined that “we human beings are the cause of every natural problem. At the same time, we are also the solution. This motto – ‘We Are the Solution’ – should create a united effort to solve these problems. Biodiversity is the basis of sustainable development and a better life.

“We need to adopt a culture of ‘Use and Grow’ instead of ‘Use and Throw,’ He continued. “We must choose the ‘Reduce, Reuse and Recycle’ process for our waste management. If we do not change our daily routine and lifestyle, then human life will be threatened. If we care about our future; If we want to give a clean and beautiful environment to future generations, then we need to create a structure of biodiversity in which all breathe freely. Earth is the home of all beings, so it is the moral duty for all of us to keep this home clean and pristine.

“Let us vow with solidarity that ‘We are part of the solution’ and let us participate in the conservation, preservation and protection of all of our natural resources. The solution is through all of us cooperating to create the change that we want to see.”

अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस
जैव विविधता हमारे सतत विकास और बेहतर निर्माण का आधार
हम हैं समाधान-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

22 मई, ऋषिकेश। आज अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि प्रकृति – आधारित प्रत्येक समस्या का कारण भी हम मनुष्य हैं और समाधान भी हम ही हैं। ‘हम हैं समाधान’ और इसके लिये एकजुट होकर समेकित प्रयास करने होंगे क्योंकि जैव विविधता हमारे सतत विकास और बेहतर निर्माण का आधार है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में हम जो भी प्रकृति प्रदत समस्यायें देख रहे हैं वह मनुष्य के लिये एक अलार्म है। अगर हमने अपनी दिनचर्या और जीवनशैली में परिवर्तन नहीं किया तो मानव का अस्तित्व संकट में आ सकता है। अगर हम अपने भविष्य की परवाह करते हैं; आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुन्दर वातावरण देना चाहते हैं तो सुव्यवस्थित मेगा-बायोडायवर्सिटी का ढ़ाचा तैयार करना होगा जिसमें सभी खुलकर सांस ले सकें। पृथ्वी सब प्राणियों का घर है इसलिये इस घर को सुरम्य बनाये रखना हम सभी का नैतिक कर्तव्य भी है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि अभी हमारे पास अवसर है अगर हम अपने दृष्टिकोण; चितंन और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव करें तो आने वाले संकट को टाला जा सकता है। अब वह समय आ गया है जब हम केवल सतत, सुरक्षित और प्रकृति के अनुकूल विकास की ओर बढ़ें। जब हमारे विकास का आधार प्रकृति आधारित होगा तभी जैव विविधता में आ रही गिरावट को रोका जा सकता है।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि अब हमें ’यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो’ कल्चर; संस्कृति को अपनाना होगा। हमें अपने अपशिष्ट प्रबंधन के लिये ’रिड्यूस, रीयूज, तथा रीसाइकल’ प्रक्रिया को चुनना होगा। हमें विकास के परंपरागत स्वरूप की ओर बढ़ना होगा क्योंकि अब वही मार्ग हमारे ग्रह को मेगा-बायोडायवर्सिटी वाला ग्रह बनाने हेतु हमारी मदद कर सकता है।

वर्ष 2019/20 में यू.एन. द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार, मानव गतिविधियों के कारण दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि मनुष्य लगातार उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहा है; प्रदूषित कर रहा है जिन पर हम सभी का अस्तित्व निर्भर करता है। जैव विविधता में लगातार आ रही गिरावट न केवल एक पर्यावरणीय क्षति है बल्कि यह नैतिक पतन भी है।

आईये एकजुटता के साथ संकल्प ले कि एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे क्योंकि उससे जलीय जीवन अत्यधिक प्रभावित हो रहा है तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और संवर्द्धन के सहभागी होकर ‘हम समाधान का हिस्सा हैं’ वर्ष 2021 की इस थीम को चरितार्थ करने में हम सब का सहयोग ही इसका समाधान है।