परमार्थ निकेतन आये विश्व के विभिन्न देशों से पर्यटक

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर भारत की गौरवमयी संस्कृति और विरासत के विषय में हुयी चर्चा

ऋषिकेश, 8 जनवरी। विश्व के विभिन्न देशों से आये पर्यटकों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती, विश्व शान्ति हवन, सत्संग, योग और विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों में सहभाग किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर पर्यटकों ने भारत की गौरवमयी संस्कृति, और विरासत के विषय में जानकारी प्राप्त की। स्वामी जी ने कहा कि भारत, नाम लेते ही भारत की स्वर्णिम आध्यात्मिक गाथा और एक शानदार युग याद आता है जिसने हमेशा से विश्व का मार्गदर्शन किया है। इतिहास के किसी भी काल-खंड को देखे तो भारत हमेशा से शान्ति की राह पर अग्रसर होता रहा है। चाहे वह भक्ति काल हो या पुनर्जागरण काल, भारत ने विकास से पहले शान्ति, सौहार्द, सहिष्णुता और सद्भाव को प्राथमिकता दी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं बल्कि जीता जागता राष्ट्र है जो सम्पूर्ण विश्व के लिये ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की दिव्य कामना करता है। भारतीय संस्कृति अद्भुत शक्ति और पूर्ण विश्वास के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् के सूत्र को आत्मसात कर शान्ति के साथ जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देती है। मानव जीवन के अस्तित्व के साथ ही भारतीय संस्कृति ने सम्पूर्ण मानवता को जीवन के अनेक श्रेष्ठ सूत्र दिये और आज भी निरंतर उन सूत्रों और मूल्यों की ओर अग्रसर है, जिन्हें आत्मसात कर न केवल जीवन व्यवस्थित होता है बल्कि ‘आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति मानव को अपने मूल से; मूल्यों से, प्राचीन गौरवशाली सूत्रों, सिद्धान्तों एवं परंपराओं से जोड़ने के साथ ही अपने आप में निरंतर नवीनता का समावेश भी करती है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जानने के लिये शास्त्रों को पढ़ना होगा, वेदों; उपनिषदों, पुराणों आौर गीता को जानना, जुड़ना और समझना होगा। वेद और पुराण भारतीयों की सबसे बड़ी संपत्ति और धरोहर है। हमारे पूर्वजों और हमारे ऋषियों ने अपने आध्यात्मिक अनुसंधानों के आधार पर योग, यज्ञ, ध्यान आदि अनेक दिव्य परम्पराओं का निर्माण किया। ऋषियों ने कई वर्षों तक एकांतवास मंे रहकर अपने जीवन के अनुभव, प्रामाणिकता और अनुसंधान के आधार पर जीवन मूल्यों का निर्माण किया इसलिये भारतीय साहित्य और संस्कृति से जुड़ कर ही आज की युवा पीढ़ी अपनी जडं़े मजबूत रख सकती है।

विदेशी पर्यटकों के दल से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 1 नवम्बर, 2021 को ग्लासगो में सीओपी-26 में मिशन लाइफ एक जन आन्दोलन के रूप में पेश किया था, जो एक व्यवहार परिवर्तन आंदोलन है, जिसके माध्यम से लोगों को प्रकृति के अनुरूप जीवन शैली अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने की एक दिव्य परिकल्पना है ताकि हमारी धरती और प्रकृति को नुकसान न पहुंचें आईये भारतीय पारम्परिक जीवन शैली को जीवन का अंग बनाये और अपने पर्यावरण का संरक्षण करने हेतु योगदान प्रदान करें। स्वामी जी ने सभी को पर्यावरण और जल संरक्षण का संकल्प कराया।